कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर दो केलों के लिए 442 रुपये के बिल को लेकर ख़ासा हंगामा हुआ था। यह चंडीगढ़ के मैरियट होटल का बिल था जिसे अभिनेता राहुल बोस ने ट्विटर पर शेयर किया था। तब लोगों ने सोशल मीडिया पर कहा था कि यह बहुत ज़्यादा है और आख़िर इन दो केलों में ऐसी भी क्या बात है कि इनके लिए किसी को 442 रुपये चुकाने पड़ें। लेकिन अगर यह आपको ज़्यादा लगें तो आप एक और चौंकाने वाली ख़बर के लिए तैयार हो जाइए।
कार्तिक धर नाम के एक शख़्स ने 10 अगस्त को एक ट्वीट किया। इसमें उन्होंने एक बिल की फ़ोटो डाली थी। यह बिल कुल 6,938 रुपये का था। बिल देखकर कोई भी आदमी बुरी तरह चौंक जाएगा। बिल में लिखा था कि ऑमलेट 850 रुपये का है, इसे देखकर तो धक्का लगना ही था क्योंकि आम तौर पर दुकानों में सिंपल दो अंडों का ऑमलेट 30 रुपये का और किसी बहुत अच्छी यानी महंगी दुकान में भी 100-140 रुपये में बटर में बना हुआ ऑमलेट मिल जाएगा।
चलिए, यह झटका भी जैसे-तैसे झेल लिया, अब सुनिए बिल की सबसे चौंकाने वाली बात। बिल में दो अंडों की क़ीमत बताई गई है 1700 रुपये। बिल मुंबई के एक होटल का था। नाम है - फ़ोर सीज़न्स होटल। यह बिल थोड़ी ही देर में सोशल मीडिया पर ख़ासा वायरल हो गया और ट्विटर पर मौजूद तमाम यूजर्स ने इस पर ख़ूब मजे लिए।
कार्तिक धर ने इस बिल में राहुल बोस को टैग करते हुए लिखा कि भाई आंदोलन करें?
अनुप्रिया नाम की एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि इस अंडे के साथ सोना भी निकला है क्या?
धर्मेंद्र कंवारी नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा कि संडे हो या मंडे, रोज खाओ अंडे। 1700 के दो हैं।
राहुल साहनी नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा कि मुर्गी भी अंबानी खानदान की होगी।
सुजोय नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा कि भाई, 3 अंडे रोज़ाना पूरे साल भर भी खाऊंगा तो भी उसका बिल सिर्फ 4380 रुपये बैठेगा।
मनीष कुमार त्यागी नाम के ट्विटर यूजर ने कार्तिक धर से पूछा कि किसके अंडे मँगा लिए थे भाई?
रमन शर्मा ने कहा कि यह अंडा कश्मीर के आंदोलन से लाया गया था या बंगाल से जमैटो के डिलीवरी ब्वाय से मंगवाया था?
केलों का बिल 442 रुपये सामने आने के बाद फ़ेडरेशन ऑफ़ होटल एंड रेस्तराँ एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की ओर से कहा गया था कि होटल ने कुछ भी ग़लत नहीं किया है। तब चंडीगढ़ के कर विभाग ने होटल को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और 25 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया था।
केले और अंडों का मामला सामने आने के बाद लोग यह पूछ रहे हैं कि आख़िर होटलों की मनमानी कब रुकेगी? और वे क्यों अनाप-शनाप बिल वसूल रहे हैं। उनका कहना है कि आख़िर बिल के नाम पर उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी क्यों की जा रही है। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि महंगे होटलों को वाजिब क़ीमत लेनी चाहिए लेकिन लोगों की जेब पर डाका डालने का आख़िर क्या तुक है।
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