- सात सांसदों से पूर्ण राज्य बनवाना क्या संभव है?
- क्या दिल्ली पूर्ण राज्य बन सकता है?
- दिल्ली देश की राजधानी है। ऐसे में यहाँ शिक्षा,स्वास्थ्य और रोजगार में दिल्ली वासियों के लिए 85% आरक्षण की बात करना क्या उचित है?
7 सांसद और पूर्ण राज्य
जहाँ तक सात सांसदों से पूर्ण राज्य का दर्जा मिल पाने की बात है तो यह संभव है, क्योंकि वर्तमान परिदृश्य में किसी भी पार्टी या गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है। ऐसी परिस्थिति में दिल्ली के सात सांसदों की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। अरविंद केजरीवाल ने स्पष्ट कर दिया है कि जो पार्टी पूर्ण राज्य के मुद्दे पर उनका साथ देगी, उसे वे अपना समर्थन देंगे। वैसे उन्हें इस मुद्दे पर ममता बनर्जी, चंद्रबाबू नायडू, दुष्यंत चौटाला आदि नेताओं का समर्थन मिल चुका है।
85% आरक्षण
इसी तरह शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में दिल्ली वासियों के लिए 85% आरक्षण के मुद्दे पर वस्तुस्थिति समझना आवश्यक है। 85% आरक्षण आज भी दिल्ली सरकार के संस्थानों में उपलब्ध है, जैसे आंबेडकर विश्वविद्यालय, इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय तथा दिल्ली सरकार द्वारा खोला गया स्किल सेंटर आदि। दरसअल, किसी भी चुनी हुई सरकार की ज़िम्मेदारी होती है कि वह जनता के हितों की रक्षा करे।
दिल्ली की जनता की बेहतरी के लिए 85% आरक्षण की माँग नाजायज़ नहीं है। केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण दिल्ली में संस्थानों की कमी है।
केंद्र का नियंत्रण?
एक बात और महत्वपूर्ण है कि पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद भी केंद्रीय निकायों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण बना रहेगा। इनमें राज्य सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। इसलिए केंद्रीय संस्थानों में देश भर के लोगों को मिलने वाली सुविधाएँ मिलती रहेंगी। हाँ, 85% आरक्षण की माँग उन संस्थानों में भी की जा रही है जो केंद्रीय संस्थान तो हैं, लेकिन उनका वित्तीय अनुदान राज्य सरकार के अधीन है। वह उचित है।
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