loader

सुप्रीम कोर्ट पर नाराज़ उपराष्ट्रपति ने पूछा- 'क्या हम लोकतांत्रिक देश हैं'

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका की तुलना में विधायिका की शक्तियों का मुद्दा उठाया। उन्होंने संसद के कामों में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि संसद कानून बनाता है और सुप्रीम कोर्ट उसे रद्द कर देता है। उन्होंने पूछा कि क्या संसद द्वारा बनाया गया कानून तभी कानून होगा जब उस पर कोर्ट की मुहर लगेगी।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने 1973 में केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का हवाला देते हुए कहा- 'क्या हम एक लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं', इस सवाल का जवाब देना मुश्किल होगा। केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संसद के पास संविधान में संशोधन करने का अधिकार है, लेकिन इसकी मूल संरचना में नहीं।

ताज़ा ख़बरें

उपराष्ट्रपति धनखड़ जयपुर में 83वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दे रहे थे। इसी कार्यक्रम में धनखड़ ने एक बार फिर न्यायपालिका की तुलना में विधायिका की शक्तियों का मुद्दा उठाया। वह पहले भी इस मुद्दे को लगातार उठाते रहे हैं।

धनखड़ ने कहा कि 1973 में एक बहुत गलत परंपरा शुरू हुई। उन्होंने कहा कि 'केशवानंद भारती केस में सुप्रीम कोर्ट ने मूल संरचना का सिद्धांत दिया कि संसद संविधान संशोधन कर सकती है, लेकिन इसके मूल संरचना को नहीं। कोर्ट को सम्मान के साथ कहना चाहता हूँ कि इससे मैं सहमत नहीं।' 

उन्होंने शीर्ष अदालत के 2015 के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 को रद्द करने के फ़ैसले पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने 2022 में राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने पहले संबोधन में इस मुद्दे को उठाया था।
राजस्थान से और ख़बरें

उन्होंने कहा कि संसदीय संप्रभुता और स्वायत्तता से समझौता नहीं होने दिया जा सकता है क्योंकि यह लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए सर्वोत्तम है। उन्होंने कहा कि चूंकि विधायिका के पास न्यायिक आदेश लिखने की शक्ति नहीं है, कार्यपालिका और न्यायपालिका के पास भी कानून बनाने का अधिकार नहीं है।

बता दें कि पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को लेकर उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को रद्द करने पर संसद में कोई सवाल नहीं किया गया लेकिन संसद के बनाए कानून को रद्द करना एक गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा था कि संसद अगर कोई कानून पारित करती है तो वह लोगों की इच्छा को दर्शाती है। उन्होंने तब भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की मौजूदगी में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर सवाल उठाए थे। 

ख़ास ख़बरें

उन्होंने कहा था कि एक के द्वारा दूसरे के क्षेत्र में कोई भी घुसपैठ शासन की गाड़ी को अस्थिर करने की क्षमता रखती है। उन्होंने कहा था कि संसद लोगों की जनभावनाओं के अनुसार कानून बनाती है, लोकतंत्र की सारी शक्ति लोगों में है, संसद उन्हीं लोगों का जनादेश है।

उपराष्ट्रपति उससे पहले भी एनजेएसी अधिनियम को रद्द किए जाने के फ़ैसले पर सवाल उठा चुके हैं। उपराष्ट्रपति ने 26 नवंबर को दिल्ली में संविधान दिवस समारोह में इसी तरह की भावना व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि वह हैरान थे कि इस फैसले के बाद संसद में कोई कानाफूसी नहीं हुई। उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र के विकास के लिए कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका का सामंजस्यपूर्ण कामकाज महत्वपूर्ण है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

राजस्थान से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें