अलवर में मंदिरों को गिराए जाने के मामले में राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे पर हमलावर रहे। राजगढ़ नगर पालिका की ओर से मंदिरों को गिराने की यह कार्रवाई की गई थी।
विवाद बढ़ने के बाद अलवर के जिला प्रशासन ने शनिवार को कहा कि वह अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान गिराए गए इन तीनों मंदिरों को फिर से बनाएगा। मंदिरों को गिराने की कार्रवाई 17 अप्रैल को हुई थी।
अलवर की अतिरिक्त जिला अधिकारी सुनीता पंकज ने कहा है कि वहां पर तीन मंदिर थे। इनमें से दो निजी मंदिर थे और एक नाले के ऊपर बना था। प्रशासन ने मंदिरों से मूर्तियों को सर्वसम्मति के बाद ही हटाया था। उन्होंने कहा कि अब मंदिरों को किसी गैर विवादित जमीन पर बनाया जाएगा और इसके लिए लोगों और नगर पालिका के बीच पक्का समझौता किया जाएगा।
इस मामले में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने एक-दूसरे को दोषी साबित करने की कोई कोशिश नहीं छोड़ी। बीजेपी के लगातार हमलों के बीच कांग्रेस ने भी इसका जवाब दिया। लेकिन बीजेपी ने इस तरह का माहौल बना दिया कि मंदिर को तोड़े जाने के लिए कांग्रेस ही जिम्मेदार है।
कांग्रेस ने भी इस बात को लगातार लोगों के बीच पहुंचाने की कोशिश की कि मंदिर तोड़े जाने का फैसला पूरी तरह नगरपालिका के स्थानीय बोर्ड का था और वहां पर बीजेपी काबिज है और बीजेपी के हिंदुत्व के ढोंग की यही असली सच्चाई है।
कांग्रेस ने साफ कहा कि मंदिर को गिराए जाने के फैसले से गहलोत सरकार का कोई लेना-देना नहीं है और यह फैसला स्थानीय पालिका के बोर्ड का है। कांग्रेस ने यह भी कहा था कि कांग्रेस के स्थानीय विधायक ने मंदिरों को तोड़े जाने का विरोध किया था।
क्या है मामला?
राजगढ़ कस्बे के गोल सर्किल से मेला का चौराहे के मध्य तक मास्टर प्लान 2031 के तहत सड़क बनने में बाधा बन रहे निर्माण कार्यों को जेसीबी से हटाया गया था। इससे पहले प्रशासन की ओर से 86 मकान व दुकान मालिकों को नोटिस जारी किए गए थे। सरकार यहां पर 60 फीट चौड़ी सड़क बनाने जा रही है।
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