अशोक गहलोत से तनातनी के बीच अब सचिन पायलट ने उनको अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा कि अब तक तो उन्होंने गांधीवादी तरीक़े से अनशन किया, जनसंघर्ष यात्रा की है, लेकिन महीने के आख़िर तक मांगें पूरी नहीं हुई तो पूरे प्रदेश में आंदोलन करूँगा। उन्होंने 'युवाओं के हित' और 'भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़' कार्रवाई से जुड़ी तीन मांगें रखी हैं। वह भ्रष्टाचार को लेकर वसुंधरा राजे पर कार्रवाई करने की मांग करते रहे हैं।
पायलट हाल में राजस्थान कांग्रेस में सुर्खियों में रहे हैं। पायलट ने क़रीब हफ़्ते भर पहले वसुंधरा सरकार के कथित भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ कार्रवाई के लिए अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ अनशन किया था। तब पायलट ने कहा था कि लोगों को भरोसा देना जरूरी है कि कांग्रेस सरकार 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले किए गए अपने बयानों और वादों पर काम कर रही है। भ्रष्टाचार के मुद्दे के बहाने ही पायलट गहलोत के ख़िलाफ़ आक्रामक हैं। गहलोत भी पायलट पर हमले का कोई मौक़ा नहीं छोड़ रहे हैं।
बहरहाल, राजस्थान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने अपनी पार्टी के सामने एक और बड़ी रुकावट डाल दी है। कर्नाटक के लिए मुख्यमंत्री पद के चयन को लेकर चल रही आंतरिक प्रतिद्वंद्विता से निपटने के लिए कांग्रेस पार्टी अभी भी संघर्ष ही कर रही है और इस बीच राजस्थान में सचिन पायलट ने 15 दिनों का 'अल्टीमेटम' दे दिया है।
अपनी पांच दिवसीय 'जन संघर्ष यात्रा' के समापन पर सचिन पायलट ने वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार में कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने पर राज्य में अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज करने की धमकी दी है।
इसी कड़ी में पायलट ने पेपर लीक के ख़िलाफ़ ठोस कार्रवाई करने, राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) को भंग करने और इसके पुनर्गठन की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने सरकारी नौकरी परीक्षा पेपर लीक मामलों से प्रभावित लोगों के लिए मुआवजे की मांग की है।
पायलट ने जयपुर में कहा,
“
अगर इस महीने के अंत तक हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो मैं पूरे राज्य की जनता के साथ 'आंदोलन' करूंगा। हमने अभी गांधीवादी तरीके से अनशन किया है, अगर भ्रष्टाचार के आरोपों पर कार्रवाई नहीं हुई तो हम पूरे राज्य में आंदोलन करेंगे। हम हर गांव, हर टोले में जाएंगे।
सचिन पायलट, जयपुर में
पायलट और गहलोत के बीच मतभेद गहराने से कयास लगाए जा रहे हैं कि पायलट कांग्रेस छोड़ सकते हैं।
दोनों नेताओं के बीच ताजा तनातनी तब शुरू हुई जब राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने 2020 के विद्रोह में शामिल विधायकों पर भाजपा से पैसे लेने का आरोप लगाया। पायलट समेत 19 विधायकों ने राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की मांग की थी, जिसके बाद उन्हें डिप्टी सीएम के पद से बर्खास्त कर दिया गया था। पायलट नियमित रूप से गहलोत सरकार पर निशाना साधने के लिए भ्रष्टाचार के मुद्दे का इस्तेमाल करते रहे हैं।
पायलट ने जन संघर्ष यात्रा का ज़िक्र करते हुए कहा, 'इसमें कोई दर्द नहीं है कि हम कुछ दिनों के लिए धूप में चल रहे हैं। लेकिन उन युवाओं के बारे में सोचिए जिनकी परीक्षा प्रश्न पत्र लीक होने के कारण रद्द हो गई। और पेपर लीक भ्रष्टाचार के कारण होता है। मैं यह लंबे समय से कह रहा हूं। वक़्त है कि हमारी सरकार भ्रष्टाचार के मुद्दे को प्रभावी ढंग से निपट नहीं सकी।'
उन्होंने कहा, '2018 में, मैं पार्टी की राज्य इकाई का अध्यक्ष था। मैं पार्टी का चेहरा था। सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री चेहरा बन जाता है। ...मेरी मांग बहुत सरल है। मैंने किसी का अपमान नहीं किया है, कभी किसी को गाली नहीं दी है। मैं जो कह रहा हूं वह यह है कि लोग देख रहे हैं कि हम क्या कार्रवाई कर रहे हैं क्योंकि आरोप लगाना आसान है।'
पायलट ने अप्रैल में भी गहलोत सरकार के खिलाफ एक दिन का उपवास रखा था। कांग्रेस की राज्य इकाई ने तब कहा था कि पायलट का विरोध पार्टी के हितों के खिलाफ था और पूर्व उपमुख्यमंत्री को आंतरिक रूप से अशोक गहलोत सरकार के साथ किसी भी मुद्दे को हल करना चाहिए। टोंक विधायक के धरने पर कांग्रेस नेताओं ने भी कड़ी आपत्ति जताई थी। इसने कहा कि अपनी ही सरकार के खिलाफ कोई भी विरोध स्पष्ट रूप से पार्टी विरोधी गतिविधि है।
राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां कांग्रेस 2024 के महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों से पहले एक और कार्यकाल के लिए प्रयासरत है।
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