क्या राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कांग्रेस छोड़ने का मन बना लिया है या वह सिर्फ पार्टी नेतृत्व पर दबाव बढ़ाने और अपना महत्व दिखाने के लिए बार-बार संकेत दे रहे हैं कि वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं?
बीजेपी में शामिल होंगे?
एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि पायलट सोमवार को किसी समय बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मिल सकते हैं। उन्होंने पहले ही कह दिया है कि वह जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शिरकत नहीं करेंगे।दूसरी ओर सचिन पायलट ने यह भी कहा है कि वह बीजेपी में शामिल होने नहीं जा रहे हैं।
नड्डा से मिलने की ख़बर के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वह अब पीछे हटने की स्थिति में नहीं है और कांग्रेस छोड़ने का फ़ैसला कर चुके हैं।
दबाव बनाने की राजनीति?
लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह दबाव बनाने की कोशिश भी हो सकती है। कुछ दिन पहले ही मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लगभग इन्हीं स्थितियों पार्टी से बग़ावत कर दी और बीजेपी में शामिल हो गए।यह मुमकिन है कि पायलट सिर्फ यह संकेत दे रहे हैं कि उनकी बात नहीं मानी गई तो राजस्थान भी कांग्रेस के हाथ से निकल जा सकता है।दूसरी ओर बीजेपी 'देखो और इंतजार करो' की नीति पर ही चल रही है। वह अभी तुरन्त पायलट को मुख्यमंत्री बनाना नहीं चाहता है और इसलिए उन्हें ऐसा कोई भरोसा भी नहीं दे रही है।
इसकी वजह बीजेपी की अंदरूनी राजनीति है। बीजेपी की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया अभी भी क़द्दावर नेता है और उनके साथ लगभग 45 विधायक हैं। यदि कांग्रेस की सरकार किसी तरह गिर भी जाए तो बीजेपी वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री बनाना चाहेगी, पायलट को नहीं।ऐसे में सवाल है कि सचिन पायलट क्यों जोखिम ले रहे हैं?
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