ऐसे समय जब कांग्रेस के बाग़ी नेता सचिन पायलट और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आर-पार की लड़ाई लड़ रहे हैं, युवा नेता ने पार्टी नेतृत्व से सभी तार नहीं तोड़ लिए हैं। समझा जाता है कि सचिन पायलट केंद्रीय नेतृत्व के संपर्क में हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सचिन पायलट ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से एक दिन पहले ही लंबी बात की है। हालांकि उस बातचीत का ब्योरा नहीं मिल सका है, पर समझा जाता है कि प्रियंका गांधी सचिन पायलट को समझाने बुझाने में लगी हुई हैं और उन्हें यह बताने की कोशिश कर रही हैं कि वह पार्टी छोड़ कर न जाएं, उनकी तमाम शिकायतों पर विचार किया जाएगा। समझा जाता है कि पायलट का रुख कुछ नरम हुआ है।
अदालत में सुनवाई
यह ऐसे समय हो रहा है जब सोमवार को ही राजस्थान हाई कोर्ट में सचिन पायलट खेमे की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई फिर शुरू होने जा रही है। पायलट समेत 19 विधायकों ने विधानसभा स्पीकर के नोटिस को अदालत में चुनौती दी है। वे इस बात पर कायम हैं कि उन्होंने पार्टी के ख़िलाफ़ कुछ भी नहीं किया हैउनका ज़ोर इस बात पर है कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भाग नहीं लेने के आधार पर उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता है।
इसमें एक दिलचस्प बात यह है कि अदालत में पायलट की पैरवी पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी और वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे कर रहे हैं, जो भारतीय जनता पार्टी के नज़दीक समझे जाते हैं।
मौक़े का फ़ायदा उठाने की कोशिश में बीजेपी
दूसरी ओर, इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि राज्य बीजेपी अभी भी इस कोशिश में है कि किसी तरह कांग्रेस की इस सिर फ़ुटौव्वल का सियासी फ़ायदा उठाया जाए।एक वरिष्ठ बीजेपी नेता इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'इतना सब कुछ करने के बाद इसमें बुद्धिमानी नहीं है कि इस मौके का फ़ायदा न उठाया जाए।'
बीजेपी के कुछ लोग गहलोत खेमे के विधायकों को टटोल रहे हैं कि और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कोई विधायक पाला बदल सकता है या नहीं।
दूसरी ओर, कांग्रेस की अंदरूनी स्थिति यह है कि अशोक गहलोत किसी तरह के समझौते के मूड में नहीं हैं और वे हर हाल में पायलट को हाशिए पर धकेल देना चाहते हैं। वह इस हफ़्ते विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने की कोशिश कर रहे हैं हालांकि विपक्षी दल बीजेपी ने इसकी माँग नहीं की है।
गहलोत चाहते हैं कि फ्लोर टेस्ट के दौरान व्हिप जारी कर दिया जाए और जो विधायक इस व्हिप का उल्लंघन करें वे ख़ुद ब ख़ुद अयोग्य घोषित कर दिए जाएं। यदि वे व्हिप का उल्लंघन नहीं करते हैं तो गहलोत यह साबित कर लेंगे कि पूरी पार्टी उनके साथ है।
इस स्थितियों के बीच प्रियंका गांधी से सचिन पायलट की बातचीत का मतलब यह है कि अभी भी इस युवा नेता को मनाने की कोशिशों चल रही हैं और वे भी अपनी आकलन कर रहे हैं।
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