सचिन पायलट और कांग्रेस के दूसरे बाग़ी विधायकों ने जयपुर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने स्पीकर के नोटिस को अदालत में चुनौती दी है। गुरुवार दोपहर बाद इस पर सुनवाई शुरू हुई, लेकिन यह तुरन्त रोक दी गई।
सचिन पायलट की ओर से पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी और वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे अदालत में पेश हुए। साल्वे ने दो जजों की बेंच के गठन की माँग की, पर इस समय एक ही जज इसकी सुनवाई कर रहे हैं। अब इस पर सुनवाई गुरुवार की शाम या शुक्रवार को होगी।
बता दें कि कांग्रेस की शिकायत पर राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष ने सचिन पायलट समेत 19 विधायकों को नोटिस जारी किया था और उन्हें शुक्रवार तक उसका जवाब देने को कहा था।
स्पीकर ने यह नोटिस तब जारी किया जब कांग्रेस पार्टी ने इन बाग़ी विधायकों को कारण बताओ नोटिस थमा दिया था। इस नोटिस में कहा गया था कि इन विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भाग नहीं लेकर अनुशासन भंग किया है तो ऐसे में उनके ख़िलाफ़ अनुसशासन की कार्रवाई क्यों न की जाए।
अदालत में स्पीकर की ओर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश होंगे जबकि बाग़ी विधायकों की पैरवी पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी करेंगे।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि पायलट खेमे ने यह कदम इसलिए उठाया है कि उसे अभी फिलहाल कुछ समय चाहिए। स्पीकर के नोटिस का जवाब देने की समय सीमा शुक्रवार को ही ख़त्म हो रही है।
उसके बाद स्पीकर कोई कदम उठा सकते हैं और ये बाग़ी विधायक अयोग्य भी क़रार दिए जा सकते हैं। अयोग्य क़रार दिए जाने की स्थिति में वे विधानसभा के सदस्य भी नहीं रह जाएंगे। इस स्थिति से बचने के लिए यह क़ानूनी सहारा लिया जा रहा है।
क्या कहना है बाग़ियों का?
कोर्ट जाने के पर सचिन पायलट के क़रीबी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने अदालत का सहारा लिया है क्योंकि उन्होंने कोई ग़लत काम नहीं किया है। एक बाग़ी विधायक ने एनडीटीवी से कहा, 'हम अदालत गए क्योंकि हमने पार्टी के ख़िलाफ़ कोई काम नहीं किया है। हमारे ख़िलाफ़ ग़लत तरीक़े से कार्रवाई हुई है। हमें नोटिस जारी किया गया, जो कल देर रात हमें मिला है। उन्होंने कहा,
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'हमें कल तक जवाब देने को कहा गया। हमने जब पार्टी विरोधी काम किया ही नहीं तो क्या जवाब दें? ये सब बातें हम कोर्ट में रखेंगे। एक तरफ़ पार्टी दरवाज़े खुले होने की बात कर रही है तो फिर कार्रवाई कौन कर रहा है?'
कांग्रेस के एक बाग़ी विधायक का कथन
पर्यवेक्षकों का कहना है कि पायलट खेमे के अदालत जाने से गहलोत सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अगर मुख्यमंत्री गहलोत इन विधायकों को अयोग्य घोषित करवा लेते हैं तो सदन में फ्लोर टेस्ट की स्थिति में भी बहुमत का आँकड़ा कम हो जाएगा, जिससे उन्हें सहूलियत होगी।
लेकिन इन विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया गया तो ये दूसरे कांग्रेस विधायकों की तरह ही वोट करेंगे और यदि उन्होंने अपनी ही सरकार के ख़िलाफ वोट दे दिया तो गहलोत की सरकार गिर सकती है।
बता दें कि राजस्थान विधानसभा में 200 सीटें हैं, बहुमत का आँकड़ा 101 है। गहलोत का कहना है कि उनके पास 106 विधायकों का समर्थन है, जिसे पायलट ने चुनौती दी है।
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