रघुकुल रीति सदा चलि आई।
— Dr.Kirodi Lal Meena (@DrKirodilalBJP) July 4, 2024
प्राण जाई पर बचन न जाई।।
(श्रीरामचरितमानस)
मीणा ने कहा, ''मेरे नाराज होने का कोई कारण नहीं है... मैं सीएम से भी मिला था और बहुत सम्मानपूर्वक उन्होंने मुझसे कहा था कि 'नहीं, आपका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जाएगा।' लेकिन मैंने सीएम से कहा कि चूंकि मैंने लोगों के बीच बात की थी और घोषणा की थी कि अगर हम यह सीट (दौसा) नहीं जीतेंगे तो मैं इस्तीफा दे दूंगा, इसलिए मुझे इस्तीफा देना पड़ा। यह स्वाभाविक है कि मैं सरकारी बंगले, सरकारी कार या कार्यालय में नहीं बैठ सकता।
दौसा लोकसभा सीट पर कांग्रेस के मुरारी लाल मीणा ने बीजेपी के कन्हैया लाल मीणा को 2.3 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था। चुनाव प्रचार के दौरान किरोड़ीलाल मीणा ने कहा था कि अगर मेरे क्षेत्र दौसा से भाजपा हार गई तो मैं सरकार से इस्तीफा दे दूंगा। हालांकि लोकसभा के नतीजे तो 4 जून को ही आ गए थे लेकिन ठीक एक महीने बाद उन्होंने इस्तीफा दिया है। दरअसल, विपक्षी दल कांग्रेस के नेता किरोड़ीलाल मीणा का काफी मजाक उड़ा रहे थे और उनके वचन की याद दिला रहे थे।
उन्होंने पूर्वी राजस्थान के दौसा, भरतपुर, धौलपुर, करौली, अलवर, टोंक-सवाई माधोपुर और कोटा-बूंदी में चुनाव अभियान का संचालन किया था। इनमें से बीजेपी सिर्फ कोटा और अलवर लोकसभा सीट जीतने में कामयाब रही। वोटों की गिनती से एक दिन पहले 3 जून को किरोड़ीलाल मीणा ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें पूर्वी राजस्थान की सात सीटों की सूची दी थी, जिस पर उन्होंने कड़ी मेहनत की।
उन्होंने कहा, ''प्रधानमंत्री के दौसा आने से पहले मैंने कहा था कि अगर (दौसा) सीट नहीं जीती तो मैं मंत्री पद छोड़ दूंगा. बाद में पीएम ने मुझसे अलग से बात की और 7 सीटों की सूची दी। मैंने 11 सीटों पर मेहनत की, 7 पर ज्यादा मेहनत की। अगर पार्टी उन 7 में से एक भी सीट हारती है तो मैं मंत्री पद छोड़ दूंगा।'
भाजपा में कलह बढ़ी
किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे का संबंध भाजपा की अंदरुनी कलह से है। भजनलाल शर्मा को भाजपा आलाकमान (मोदी-शाह) ने एक पर्ची के जरिए मुख्यमंत्री बनाया था। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह को पर्यवेक्षक बनाकर और पर्ची देकर जयपुर भेजा गया था। राजनाथ ने वो पर्ची पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को दिया। वसुंधरा राजे ने पर्ची से भजनलाल शर्मा का नाम पढ़ा। वसुंधरा के मुकाबले भजनलाल शर्मा रेस में नहीं थे। लेकिन हरियाणा के मनोहर लाल खट्टर की तरह भजनलाल को भी राजस्थान में यह पद सौंपा गया। भाजपा के पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इसे पसंद नहीं किया। राजस्थान भाजपा में अंदरुनी कलह के बीज उसी दिन पड़ गए थे।राजस्थान में ओबीसी आबादी काफी तादाद में है और उनकी मांग रही है कि राज्य का सीएम मीणा समुदाय से बनाया जाए। लेकिन उनकी यह मांग कभी पूरी नहीं हुई। किरोड़ीलाल मीणा अपने समुदाय से राजस्थान भाजपा में सबसे सीनियर नेता हैं। इसी तरह राजस्थान का गुर्जर समुदाय भी अपने नेता को सीएम देखना चाहता है। सचिन पायलट की राजस्थान की राजनीति में कामयाबी का राज भी गुर्जर समुदाय है।
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