राजस्थान के स्कूली छात्रों के प्रस्तावित नये यूनिफॉर्म के रंग को लेकर फिर से विवाद छिड़ गया है। पिछली बार जब बीजेपी ने कथित तौर पर भगवा से कुछ मिलता-जुलता भूरे रंग का यूनिफॉर्म बदला था तब भी विवाद हुआ था और अब जब गहलोत सरकार ने नये यूनिफॉर्म की घोषणा की है तब भी इस पर बयानबाज़ी शुरू हो गई है।
दरअसल, राजस्थान के पब्लिक स्कूलों में अगले शैक्षणिक वर्ष से छात्रों की एक नई वर्दी होगी। शिक्षा मंत्रालय ने घोषणा की है कि 2017 में बीजेपी सरकार द्वारा लाए गए मौजूदा यूनिफॉर्म को ख़त्म कर दिया जाएगा। मौजूदा यूनिफॉर्म में हल्की भूरी शर्ट या कुर्ता, और भूरी पतलून या शॉर्ट्स, सलवार, स्कर्ट शामिल हैं। उस समय कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि वसुंधरा राजे सरकार द्वारा लाई गई वर्दी आरएसएस की पोशाक से मिलती जुलती थी।
अब बुधवार को जारी राजस्थान सरकार के एक आदेश में स्कूल शिक्षा विभाग ने कहा है कि सरकारी स्कूलों में छात्र अब एक वर्दी पहनेंगे जो कि सिर्फ ब्लू और डार्क ग्रे का संयोजन है। सर्दियों में गहरे भूरे रंग के कोट और स्वेटर दिए जाएँगे। हालाँकि इस आदेश में यह भी साफ़ किया गया है कि वर्तमान शैक्षणिक सत्र में नई वर्दी लागू नहीं की जाएगी। यह शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से अनिवार्य होगी।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि छात्र वर्दी के लिए 600 रुपये के हकदार हैं। अधिकारियों ने बताया कि सरकार जल्द ही नई वर्दी के लिए टेंडर निकालेगी। सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के 66 लाख छात्र मुफ्त यूनिफॉर्म के हकदार हैं। सीनियर छात्रों को वही खरीदना होगा।
बीजेपी विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने गहलोत सरकार के इस क़दम की आलोचना की है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, 'यह एक अधिनायकवादी फरमान है। छात्रों या अभिभावकों की किसी मांग के बिना तीन-चार साल के भीतर वर्दी बदलने का कोई तर्क नहीं है। वर्दी खरीदने के लिए अतिरिक्त भार माता-पिता को वहन करना होगा, जो पहले से ही कोरोना महामारी के बाद आर्थिक रूप से प्रभावित हैं।'
राजस्थान के शिक्षा मंत्री बी डी कल्ला ने इस क़दम के पीछे किसी भी राजनीति से इनकार किया। उन्होंने कहा कि 'मेरे सामने मंत्री ने योजना पेश की। मैंने बस इसे मंजूरी दे दी। यह भाजपा ही है जिसने वर्दी पर राजनीति की, छात्रों को भगवा रंग की साइकिल बांटी, उनकी पार्टी के झंडे का रंग लगाया। नीले और ग्रे, वर्दी के नए रंग का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।'
पूर्व शिक्षा मंत्री और राज्य कांग्रेस प्रमुख डोटासरा ने कहा कि छह सदस्यीय पैनल की सिफारिश के आधार पर यह निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा, 'समिति ने 2017 में बीजेपी सरकार के दौरान शुरू की गई वर्दी के बारे में माता-पिता और स्कूल के शिक्षकों की शिकायतों पर विचार किया और एक बदलाव की सिफारिश की।'
बता दें कि राजस्थान में स्कूली यूनिफॉर्म में 1996-1997 में बदलाव हुआ था। इसके बाद 20 सालों तक कोई बदलाव देखने को नहीं मिला। फिर साल 2017-2018 में यूनिफॉर्म का रंग बदला गया था।
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