पंजाब, उत्तराखंड के बाद कांग्रेस हाईकमान राजस्थान में कांग्रेस के क्षत्रपों के झगड़े को ख़त्म करने के क़रीब पहुंच गया है। बीते कुछ दिनों में हाईकमान ने पंजाब में कैप्टन बनाम सिद्धू का झगड़ा, उत्तराखंड कांग्रेस में सांगठनिक फेरबदल को अंजाम देकर इन राज्य इकाइयों के चुनावी मैदान में उतरने का रास्ता साफ कर दिया है। दोनों ही राज्यों में 7 महीने के अंदर चुनाव होने हैं।
अब बारी राजस्थान की है। ख़बरों के मुताबिक़, राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बनाम पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की सियासी जंग को ख़त्म करने के लिए जो कमेटी बनाई गई थी, उसने अपनी रिपोर्ट हाईकमान को सौंप दी है और जल्द ही यहां राज्य कैबिनेट का विस्तार होने जा रहा है।
इसके साथ ही संगठन में भी पदाधिकारियों की नियुक्ति होगी। बता दें कि सारी किचकिच कैबिनेट और कांग्रेस संगठन में पदों को लेकर है।
दिल्ली आएंगे गहलोत
ख़बरों के मुताबिक़, गहलोत मंत्रिमंडल का विस्तार 27 या 28 जुलाई को हो सकता है। विस्तार में पायलट गुट के 4 या 5 विधायकों को जगह दी जा सकती है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसके लिए सहमति दे दी है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जल्द ही दिल्ली आ सकते हैं जबकि सचिन पायलट कुछ वक़्त पहले ही दिल्ली आकर राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से मिले थे।
तब पायलट को यह भरोसा दिलाया गया था कि जल्द ही कैबिनेट का विस्तार होगा और इसमें उनके क़रीबियों को जगह दी जाएगी।
राजस्थान में गहलोत बनाम पायलट गुट का झगड़ा सरेआम है। पायलट गुट का कहना है कि एक साल बाद भी उनकी बातों को नहीं सुना गया है। पंजाब के मामले में हाईकमान ने तुरंत एक्शन लिया जबकि राजस्थान को लेकर उसका रूख़ ऐसा नहीं है।
‘द टेलीग्राफ़’ ने हाल ही में ख़बर दी थी कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के क़रीबियों को मंत्रिमंडल में शामिल करने से ना-नुकुर कर रहे हैं।
माकन के री-ट्वीट से खलबली
राजस्थान में कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन के एक हालिया री-ट्वीट के बाद गहलोत खेमे में खासी हलचल देखी गयी। हुआ यूं कि वरिष्ठ पत्रकार शकील अख़्तर ने बीते रविवार को एक ट्वीट कर कहा था कि किसी भी राज्य में कोई क्षत्रप अपने दम पर नहीं जीतता है।
उन्होंने कहा था कि गांधी-नेहरू परिवार के नाम पर ही ग़रीब, कमज़ोर वर्ग और आम आदमी का वोट मिलता है लेकिन चाहे वह अमरिंदर सिंह हों या गहलोत या पहले शीला या कोई और! मुख्यमंत्री बनते ही यह समझ लेते हैं कि उनकी वजह से ही पार्टी जीती।”
पंजाब जैसा सख़्त फ़ैसला
शकील अख़्तर के ट्वीट को अजय माकन ने री-ट्वीट कर दिया। बस क्या था, इस ट्वीट में चूंकि गहलोत का नाम था इसलिए चर्चा शुरू हो गई कि क्या राजस्थान को लेकर भी पार्टी गहलोत के विरोध को दरकिनार करते हुए वैसा कोई सख़्त फ़ैसला करेगी जैसा उसने पंजाब के मामले में किया।
बता दें कि हाईकमान ने पंजाब को लेकर किए गए फ़ैसले पर अमरिंदर सिंह के विरोध को कोई तवज्जो नहीं दी। अमरिंदर ने पत्र लिखकर हाईकमान को ही चुनौती दे दी थी और कहा था कि वह पंजाब के मामलों में जबरन दख़ल न दे। अमरिंदर नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनने देना चाहते थे लेकिन हाईकमान उनके हक़ में डटकर खड़ा रहा।
ऐसी ख़बरें थीं कि पायलट गुट का सब्र अब जवाब दे रहा है और जुलाई तक अगर कैबिनेट का विस्तार नहीं होता है तो सचिन पायलट कोई बड़ा क़दम उठा सकते हैं। लेकिन हाईकमान इसे भांपते हुए तुरंत एक्शन में आया है।
पायलट गुट के विधायकों ने बीते दिनों कहा था कि कांग्रेस आलाकमान ने जो वादा किया था, उसे पूरा किया जाना चाहिए। लेकिन अब जल्द ही सब कुछ ठीक होने की संभावना है।
पायलट का बढ़ेगा क़द
सूत्रों के मुताबिक़, पायलट को हाल ही में गुजरात कांग्रेस का प्रभारी बनाने की बात हुई थी लेकिन उन्होंने कहा था कि जब तक उनके समर्थकों को राजस्थान सरकार में सम्मान नहीं मिल जाता वे पार्टी में कोई जिम्मेदारी नहीं लेंगे। राजस्थान में कैबिनेट के विस्तार के बाद पायलट को राष्ट्रीय महासचिव बनाकर महाराष्ट्र या गुजरात में पार्टी का प्रभारी बनाया जा सकता है। दोनों ही राज्य राजनीतिक रूप से पार्टी के लिए बेहद अहम हैं।
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