राजस्थान कांग्रेस में चल रहे सियासी संकट को सुलझाने के लिए कांग्रेस के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल जब मंगलवार को जयपुर पहुंचे तो उन्होंने बयानबाजी करने वाले नेताओं के साथ ही मंत्रियों को भी सख्त चेतावनी दी। केसी वेणुगोपाल 4 दिसंबर को राजस्थान में प्रवेश करने जा रही भारत जोड़ो यात्रा की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए राज्य के दौरे पर पहुंचे थे।
जयपुर में उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट से अलग-अलग बंद कमरे में बातचीत की और उन्हें कांग्रेस नेतृत्व के संदेश के बारे में भी बताया।
बताना होगा कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के खेमों के बीच पिछले ढाई साल से सियासी अदावत चल रही है। कुछ दिन पहले गहलोत के सचिन पायलट के द्वारा साल 2020 में की गई बगावत को गद्दारी का नाम दिए जाने के बाद यह अदावत फिर तेज हो गई है।
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हालांकि पार्टी के महासचिव जयराम रमेश अशोक गहलोत की टिप्पणी को अप्रत्याशित और आश्चर्यजनक बता चुके हैं। जयराम रमेश ने कहा था कि अशोक गहलोत को कुछ शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था।
कांग्रेस ने इस बात का भी संकेत दिया है कि वह पार्टी के हित में कोई बड़ा फैसला लेने से नहीं चूकेगी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को इंदौर में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कहा था कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही कांग्रेस के लिए एसेट हैं।
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कांग्रेस नेतृत्व नहीं चाहता कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई का कोई असर राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा पर पड़े। पार्टी नेताओं का पूरा ध्यान इस यात्रा को सफल बनाने पर है और क्योंकि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और यहां अगले साल विधानसभा के चुनाव भी होने हैं, इसलिए पार्टी इस यात्रा को कामयाब देखना चाहती है।
बहरहाल, द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, भारत जोड़ो यात्रा की समीक्षा बैठक के दौरान केसी वेणुगोपाल ने कड़े शब्दों में चेतावनी दी कि पार्टी नेताओं की ओर से किसी भी तरह की और बयानबाजी अब नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई मंत्री भी इस तरह की बयानबाजी करते हुए पाया गया, तो उसे कैबिनेट से हटाया जा सकता है। केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह बात सभी के लिए लागू होगी।
कांग्रेस नेतृत्व चाहता है कि राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान अशोक गहलोत और सचिन पायलट राहुल गांधी के साथ-साथ दिखें।
सब कुछ ठीक?
समीक्षा बैठक के बाद केसी वेणुगोपाल ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के हाथ खड़े कर यह दिखाने की कोशिश की है कि राजस्थान कांग्रेस के भीतर सब कुछ ठीक है। यह सभी जानते हैं कि पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के समर्थक अपने नेता को मुख्यमंत्री के पद पर देखना चाहते हैं लेकिन अशोक गहलोत ने कुछ दिन पहले एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में साफ कर दिया था कि वह किसी भी सूरत में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री स्वीकार नहीं करेंगे।
गहलोत समर्थकों ने साल 2020 में की गई बगावत को मुद्दा बना लिया है। सितंबर में जब कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी तब भी गहलोत समर्थक विधायक उस बैठक में नहीं पहुंचे थे और उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि पार्टी के साथ गद्दारी करने वालों को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाना चाहिए।
राजस्थान में कांग्रेस के पास 108 विधायक हैं और माना जाता है कि उसमें से लगभग 90 विधायकों का समर्थन अशोक गहलोत के पास है।
द इंडियन एक्सप्रेस ने कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से कहा था कि पार्टी नेतृत्व इस मामले में राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के निकल जाने के बाद ही कोई फैसला लेगा।
ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों और कांग्रेस नेताओं को राजस्थान के संकट के पूरी तरह ख़त्म होने का इंतजार है।
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