क्या राजस्थान कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट का सियासी झगड़ा ख़त्म होने वाला है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान से इस तरह के ही संकेत मिले हैं। बताना होगा कि पिछले काफी दिनों से राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा लेकर राजस्थान में ही हैं और इस दौरान सचिन पायलट और अशोक गहलोत उनके साथ दिखाई दिए हैं।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, अलवर में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के साथ हुई बैठक के बाद राहुल गांधी ने कहा कि जल्द ही अच्छी खबर मिलेगी। इस बैठक में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी मौजूद थे और यह लगभग 30 मिनट तक चली।
राहुल गांधी ने इंदौर में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कहा था कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही कांग्रेस के लिए एसेट हैं।
गद्दारी वाला बयान
बताना होगा कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के खेमों के बीच पिछले ढाई साल से सियासी अदावत चल रही है। कुछ दिन पहले गहलोत के सचिन पायलट के द्वारा साल 2020 में की गई बगावत को गद्दारी का नाम दिए जाने के बाद यह अदावत फिर तेज हो गई थी।
गहलोत ने कहा था कि पायलट के पास 10 विधायक भी नहीं हैं और उन्हें किसी भी सूरत में मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता। दूसरी ओर सचिन पायलट के समर्थक विधायक और मंत्री इस इंतजार में हैं कि कब उनके नेता को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलेगी।
राजस्थान में कांग्रेस के पास 108 विधायक हैं और माना जाता है कि उसमें से लगभग 90 विधायकों का समर्थन अशोक गहलोत के पास है।
राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के पहुंचने से पहले केसी वेणुगोपाल जयपुर पहुंचे थे और उन्होंने गहलोत और पायलट के हाथ खड़े करवा कर यह संदेश देने की कोशिश की थी कि राजस्थान कांग्रेस में अब सब कुछ ठीक है।
जयपुर का घटनाक्रम
राजस्थान कांग्रेस में हालात इस कदर खराब हुए थे कि सितंबर महीने में बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में ही अशोक गहलोत के समर्थक विधायक नहीं पहुंचे। उन्होंने हाईकमान को आंख दिखाते हुए अलग से बैठक की और उसके बाद विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को जाकर अपने इस्तीफे सौंप दिए। इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि राजस्थान में कांग्रेस के प्रभारी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने प्रभारी के पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अनुशासनहीनता के लिए जिम्मेदार नेताओं पर कार्रवाई ना होने को इस्तीफे के पीछे वजह बताया था।
कहा जा रहा था कि राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन के मामले में भारत जोड़ो यात्रा के निकल जाने के बाद ही पार्टी कोई फैसला लेगी।
बहरहाल, राहुल गांधी के बयान के बाद क्या यह माना जाना चाहिए कि राजस्थान कांग्रेस में गहलोत और पायलट खेमों के बीच चल रहा घमासान अब खत्म हो जाएगा। क्या भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान से निकलने के बाद भी पायलट और गहलोत खेमे एकजुट रहेंगे और वे पहले की तरह आमने-सामने आकर एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी नहीं करेंगे।
इतना तय है कि अगर गहलोत व पायलट खेमों के बीच यह लड़ाई बंद नहीं हुई तो 2023 का विधानसभा चुनाव जीतना कांग्रेस के लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा। कांग्रेस को अगर राजस्थान का चुनाव जीतना है तो उसे इस लड़ाई को खत्म करना ही होगा।
अगर वह इस लड़ाई को खत्म करने में कामयाब रही तो राजस्थान की सत्ता में वापस लौट सकती है। देखना होगा कि क्या भारत जोड़ो यात्रा के बाद राजस्थान में गहलोत व पायलट खेमों की लड़ाई खत्म होगी और राजस्थान कांग्रेस में नये सूर्य का उदय होगा।
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