राजस्थान कांग्रेस में जल्द ही कैबिनेट का विस्तार होने की संभावनाओं के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरूवार रात को विधायक दल की बैठक बुलाई। गहलोत सरकार के सभी मंत्री और विधायक बैठक में मौजूद रहे। बैठक में राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन भी मौजूद रहे। इसके बाद गहलोत ने कांग्रेस के विधायकों को डिनर दिया।
इससे पहले अजय माकन राज्य के दो दिन के दौरे पर जयपुर पहुंचे और इस दौरान उन्होंने कांग्रेस के सभी विधायकों से एक-एक करके मुलाक़ात की। हालिया कुछ घटनाक्रमों को देखें तो इस बात की संभावना है कि राजस्थान में जल्द ही गहलोत मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है।
विधायक दल की बैठक में गहलोत और अजय माकन ने कांग्रेस विधायकों को संबोधित किया। बैठक में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी, उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी सहित तमाम बड़े नेता भी आए।
माकन-वेणुगोपाल से मिले गहलोत
अजय माकन और कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने बीते शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ बैठक की थी। इसमें कैबिनेट विस्तार को लेकर चर्चा हुई थी। इसके बाद इन दोनों नेताओं ने रविवार को जयपुर में पार्टी के नेताओं के साथ मुलाक़ात की थी और कहा था कि राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार के मुद्दे पर आम सहमति बन गई है। अब इस बारे में अंतिम फ़ैसला कांग्रेस हाईकमान को लेना है।गहलोत की सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट भी दिल्ली में हैं। मंगलवार को उन्होंने केसी वेणुगोपाल के साथ ही अजय माकन से भी दिल्ली में लंबे वक़्त तक चर्चा की थी।
वादे पूरे होने की उम्मीद
पायलट समर्थकों को उम्मीद है कि जिस तरह हाईकमान ने पंजाब और उत्तराखंड में पार्टी नेताओं के झगड़े को सुलझा लिया है, उसी तरह राजस्थान को लेकर भी जल्द फ़ैसला होगा। बता दें कि ख़ुद पायलट इस बात को लेकर नाराज़गी जता चुके हैं कि भरोसा दिए जाने के एक साल बाद भी उनसे किए गए वादों को पूरा नहीं किया गया है।
बीते कुछ महीनों में पायलट कैंप के विधायकों के भी नाराज़गी भरे सुर सामने आए हैं। पायलट समर्थक विधायक हेमाराम चौधरी ने विधानसभा से इस्तीफ़ा दे दिया था तो एक और समर्थक विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने नाराज़गी ज़ाहिर की थी।
पायलट की मांग है कि उनके समर्थकों को कैबिनेट में जगह दी जाए। इसके अलावा आयोगों, निगमों के साथ ही कांग्रेस संगठन में नियुक्तियां की जानी हैं। बता दें कि पिछले साल पायलट अपने समर्थक 18 विधायकों के साथ मानेसर के एक होटल में आ गए थे। तब पायलट और गहलोत खेमों के बीच एक महीने तक टकराव चला था और कांग्रेस हाईकमान को दख़ल देकर इसे टालना पड़ा था।
जितिन प्रसाद के बीजेपी में जाने के बाद कांग्रेस हाईकमान को इस बात का डर है कि कहीं पायलट भी पार्टी छोड़कर न चले जाएं इसलिए उसने इस दिशा में तेज़ी से काम करना शुरू किया है।
भारी पड़ी बग़ावत!
राजस्थान में दिसंबर, 2018 में विधानसभा के चुनाव हुए थे और तब पायलट समर्थकों की मांग थी कि उनके नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। पायलट तब प्रदेश अध्यक्ष थे। सरकार बनने पर उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन बग़ावत के बाद उनके हाथ से ये दोनों अहम पद चले गए।
कहा जा रहा है कि राजस्थान में कैबिनेट के विस्तार के बाद पार्टी उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाकर गुजरात या राजस्थान का प्रभारी बना सकती है। कैबिनेट के विस्तार में पायलट गुट के 4 या 5 विधायकों को जगह दी जा सकती है।
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