जब राजस्थान कांग्रेस का एक अहम कार्यक्रम चल रहा था तो उसमें सचिन पायलट शामिल नहीं थे और उनका अलग से अकेला कार्यक्रम चल रहा था। पायलट सोमवार को जयपुर के बाहरी इलाक़े में एक सार्वजनिक आउटरीच कार्यक्रम में थे। जबकि, अशोक गहलोत, पार्टी प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी गोविंद सिंह डोटासरा विधायकों के साथ वन-टू-वन बैठक कर रहे थे। राज्य में कांग्रेस ने चुनाव से पहले एक-एक विधायकों के साथ बैठक कर राय जानने की मुहिम शुरू की है। राज्य में पार्टी की कमान संभालने वाले प्रमुख नेता इसकी तैयारी में लगे हैं। तो सवाल है कि सचिन पायलट क्या कर रहे हैं?
कहा जा रहा है कि सचिन पायलट भी चुनाव की तैयारी में ही लगे हैं। लेकिन वह अलग ही कार्यक्रम में गए थे। पायलट की विधानसभा सीट टोंक भी विधायक के साथ वन-टू-वन बैठक के लिए निर्धारित थी, लेकिन पूर्व उपमुख्यमंत्री अनुपस्थित रहे। ऐसा इसलिए था कि वह एक अपने अलग आउटरीच कार्यक्रम में थे। एनडीटीवी ने पायलट के क़रीबी सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि इसमें बहुत कुछ अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए क्योंकि पार्टी की बैठकें निर्धारित करने से पहले उनके कार्यक्रम की योजना बनाई गई थी।
पायलट ने एनडीटीवी से कहा, 'मैं यहाँ किसी व्यक्ति या कांग्रेस सरकार के खिलाफ नहीं हूँ। यह वसुंधरा राजे के समय हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ है। मैं इस बारे में लंबे समय से बात कर रहा हूं। जब सरकार तीन साल की थी, मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने के लिए कहा था, कि हमें जांच करनी चाहिए... अब चुनाव कुछ ही महीने दूर हैं, मैं नहीं चाहता कि लोग आएं और कहें कि हमने इतना शोर मचाया, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ नहीं किया।'
पायलट ने क़रीब हफ़्ते भर पहले वसुंधरा सरकार के कथित भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ कार्रवाई के लिए अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ अनशन किया था। तब पायलट ने कहा था कि लोगों को भरोसा देना जरूरी है कि कांग्रेस सरकार 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले किए गए अपने बयानों और वादों पर काम कर रही है।
पायलट ने कहा था, 'हम इन वादों को पूरा किए बिना चुनाव में नहीं जा सकते। हमारे पास सबूत हैं। हमें कार्रवाई करनी चाहिए थी। हमें जांच करनी चाहिए। हम चुनाव में जा रहे हैं। जल्द ही आदर्श आचार संहिता लागू होगी। हम लोगों के प्रति जवाबदेह हैं।'
पायलट के इन आरोपों के बाद कांग्रेस में हंगामा मच गया था। उनके विरोधी खेमे ने इसे कांग्रेस पार्टी के ख़िलाफ़ कार्रवाई बताया था। पायलट खेमा इस बात से हैरान था कि उनके अनशन को पार्टी विरोधी गतिविधि बताने के बाद पार्टी ने कोई अन्य प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी। क्या सचिन को लेकर पार्टी नेतृत्व का सॉफ्ट कॉर्नर बरकरार है। इसी तरह गहलोत खेमे ने भी सचिन पर बहुत तीखा हमला नहीं किया। इसके बाद पायलट दिल्ली चले गए थे। फिर इसके बाद क्या हुआ, इसकी जानकारी ज़्यादा सामने नहीं आई। अब तक समझा जा रहा था कि केंद्रीय नेतृत्व के दखल के बाद वह मामला शांत हो गया है। लेकिन अब फिर से पायलट और गहलोत का विवाद सामने आता हुआ दिख रहा है।
अब जो ताज़ा विवाद के कयास लगाये जा रहे हैं उनको कांग्रेस नेतृत्व ने खारिज किया है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस वार रूम में पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि पायलट की अनुपस्थिति में बहुत कुछ नहीं पढ़ा जाना चाहिए क्योंकि उनका कार्यक्रम पहले निर्धारित था। पायलट का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि हालांकि राज्य सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस की नीति है, राजे के शासन में भ्रष्टाचार की जांच वांछित है।
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