राजस्थान में पिछले कुछ दशकों में कांग्रेस और बीजेपी पाँच-पाँच साल बारी-बारी से सत्ता में आती रही हैं तो क्या इस बार भी कुछ वैसा ही नतीजा आएगा या फिर ट्रेंड बदलेगा?
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत हुई थी। इसने कुल 200 सीटों में से 100 सीटें हासिल की थीं। बीजेपी को 73 सीटें ही मिल पाई थीं। अन्य के खाते में 27 सीटें गई थीं। कांग्रेस ने निर्दलीय विधायकों और बीएसपी के विधायकों को साथ लेकर सरकार बनायी थी।
इस बार कहा जा रहा है कि बीजेपी में अंदरुनी कलह है और वसुंधरा राजे को कथित तौर पर दरकिनार किए जाने की ख़बर है। बीजेपी इस चुनाव में सामूहिक नेतृत्व के जरिए जनता के सामने जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी चुनावी रैली में इस बात पर जोर दिया कि भाजपा कमल के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी।
वैसे, क़लह तो कांग्रेस में भी गहलोत और सचिन पायलट गुट में रही थी, लेकिन फिलहाल दोनों के बीच सहमति बन गई लगती है।
इस चुनाव में कांग्रेस के सामने अपनी सत्ता विरोधी लहर को कम कर सरकार बचाने की चुनौती होगी। वहीं, भाजपा एक बार फिर राज्य की सत्ता में आने की कोशिश करेगी। बीजेपी जहाँ हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण का संकेत दे रही है वहीं, कांग्रेस ने ओबीसी कार्ड का दाँव चला है।
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