राजस्थान में 14 अगस्त से विधानसभा का सत्र शुरू होना है और उससे पहले राजस्थान कांग्रेस के दो सूरमाओं अशोक गहलोत और सचिन पायलट के कैंप अपनी सियासी चालें चल रहे हैं। ताज़ा बयान पायलट गुट के विधायकों की ओर से आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उनकी लड़ाई आत्मसम्मान की है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तानाशाही रवैये के ख़िलाफ़ है।
छह बार के विधायक हेमाराम चौधरी ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से कहा कि वे (बाग़ी विधायक) कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं और पार्टी के ख़िलाफ़ नहीं है लेकिन वे गहलोत के नेतृत्व में काम नहीं कर सकते।
यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है, जब गहलोत के तेवर नरम पड़ते दिख रहे थे। गहलोत ने कुछ दिन पहले पायलट गुट के कुछ विधायकों के वापस आने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा था, ‘ये हाईकमान पर निर्भर करता है, अगर हाईकमान उन्हें माफ करता है तो मैं सबको गले लगाऊंगा।’
पायलट के अपमान का आरोप
चौधरी ने पीटीआई से कहा कि उनके नेता पायलट का अपमान किया जा रहा था और उनके नजदीकियों को भी किनारे लगाया जा रहा था। बाड़मेर जिले की गुडामलानी सीट से विधायक चौधरी ने कहा कि राजस्थान पुलिस द्वारा देशद्रोह के आरोप में सचिन पायलट को नोटिस दिए जाने के बाद हम इसे और बर्दाश्त नहीं कर सके।
चौधरी के अलावा पायलट गुट के एक और विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने पीटीआई से कहा कि पायलट ने पंचायत से लेकर ब्लॉक और जिला स्तर पर पार्टी को फिर से खड़ा किया और सरकार में उन्हें किनारे किया जाना पार्टी के कार्यकर्ताओं को दुख पहुंचाने वाला था।
विराट नगर के विधायक इंद्राज सिंह ने पीटीआई से बातचीत में आरोप लगाया कि गहलोत ने उन्हें किसानों की ऋण माफ़ी और युवाओं के रोज़गार का मुद्दा नहीं उठाने दिया। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई आत्मसम्मान की है और हम इससे समझौता नहीं करेंगे।
तीनों ही विधायकों ने मांग की कि पार्टी को गहलोत को हटाकर पायलट को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए।
ख़रीद-फरोख़्त का आरोप
इससे पहले गहलोत ने कहा था, ‘जब से विधानसभा सत्र बुलाने की तारीख़ तय हुई है, टेलीफ़ोन बजने लगे हैं। हमारे पास ख़बर है कि कौन फ़ोन कर रहा है और वे क्या ऑफ़र कर रहे हैं। विधायकों से पूछा जा रहा है कि बताएं, आप क्या चाहते हैं।’
गहलोत ने कहा था, ‘राजस्थान में इन लोगों को मुंह की खानी पड़ेगी। जो लोग गए हैं, मुझे नहीं पता कि उनमें से किन लोगों ने पहली किश्त ली है। हो सकता है कि कई लोगों ने किश्त नहीं ली हो, मैं चाहूंगा कि उन्हें वापस आना चाहिए।’
गहलोत लगातार बीजेपी पर कांग्रेस विधायकों की ख़रीद-फरोख़्त करने का आरोप लगा रहे हैं और इसी आशंका के चलते कुछ दिन पहले उन्होंने अपने विधायकों को जयपुर से जैसलमेर शिफ्ट कर दिया था।
विधायकों को साधकर रखने की चुनौती
गहलोत और पायलट दोनों पर ही अपने विधायकों को साधकर रखने की चुनौती है। सूबे की सियासत के इन दोनों दिग्गज नेताओं को इस बात का डर है कि अब तक उनके साथ रहे विधायक होटल से बाहर निकलने के बाद कहीं पाला न बदल लें। हाल ही में पायलट गुट के एक विधायक ने चुनौती दी थी कि गहलोत गुट के 10-15 विधायक उनके संपर्क में हैं और होटल से आज़ाद होने के बाद उनके पाले में आ जाएंगे। बता दें कि गहलोत ने अपने गुट के विधायकों को जयपुर के फ़ेयरमॉन्ट होटल में रखा हुआ है। दूसरी ओर कांग्रेस ने कहा था कि पायलट गुट के तीन विधायक उसके संपर्क में हैं।‘सत्र में होंगे शामिल’
नेतृत्व में बदलाव की मांग
शक्तावत ने कहा था, ‘हम सभी नेतृत्व में बदलाव चाहते हैं। जिस व्यक्ति ने राजस्थान में सरकार बनाने के लिए 6 साल तक लगातार काम किया, उसे आप निकम्मा कहकर अपमानित करते हैं। यह स्वाभिमान की लड़ाई है। आप अपने ही घर के लोगों को गालियां दे रहे हैं।’
पायलट के एक और समर्थक और लाडनूं सीट से विधायक मुकेश भाकर ने भी अख़बार से कहा कि वह कांग्रेस की विचारधारा में विश्वास रखते हैं और बीजेपी के लिए अपनी पार्टी नहीं छोड़ेंगे। भाकर इससे पहले गहलोत के ख़िलाफ़ काफी मुखर रहे हैं।
अपनी राय बतायें