राजस्थान में कांग्रेस सरकार के संकट के बीच एक मामले में अब केंद्र सरकार भी कूद गई है! केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कथित फ़ोन टैपिंग के मामले में राज्य सरकार से रिपोर्ट माँगी है। केंद्र की यह कार्रवाई शनिवार देर शाम को तब आई जब इससे एक दिन पहले ही दो ऑडियो टेपों के आधार पर कथित तौर पर राज्य सरकार को गिराने की साज़िश रचने के मामले में एफ़आईआर दर्ज की गई है।
कांग्रेस ने दो ऑडियो क्लिप के आने के बाद शुक्रवार को दो बाग़ी विधायकों- भँवरलाल शर्मा और विश्वेंद्र सिंह को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से हटा दिया था। आरोप लगाया गया था कि इस ऑडियो क्लिप में दोनों विधायक केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ मिलकर अशोक गहलोत सरकार के ख़िलाफ़ साज़िश रच रहे थे। 19 विधायकों की बग़ावत का सामना कर रही राज्य की कांग्रेस सरकार ने इस कथित साज़िश के पीछे बीजेपी के होने का आरोप लगाया था।
गजेंद्र सिंह ने दावा किया था कि ऑडियो क्लिप में उनकी आवाज़ नहीं है और वह किसी भी जाँच के लिए तैयार हैं। बाद में बीजेपी ने शनिवार को कहा था कि इससे पता चलता है कि राज्य में राजनीतिक नेताओं के फ़ोन टैप किए जा रहे थे। बीजेपी ने कहा है कि सीबीआई जाँच की जाए ताकि यह पता लगे कि अशोक गहलोत की सरकार ने ग़ैर-क़ानूनी रूप से राजनेताओं के फ़ोन टैप कराए हैं। बीजेपी ने इसका पता लगाने की माँग की कि क्या राजनीतिक नेताओं के फ़ोन टैप करने से पहले एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) का पालन किया गया था?
इसके बाद देर शाम को 'पीटीआई' की रिपोर्ट में कहा गया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजस्थान के मुख्य सचिव को सूचना भेजी और फ़ोन टैपिंग के आरोपों पर रिपोर्ट माँगी।
बीजेपी के इन आरोपों के बाद कांग्रेस ने कहा कि यह अपराध के आरोपों की स्वीकारोक्ति है। 'एनडीटीवी' के अनुसार, पार्टी नेता पवन खेड़ा ने कहा, 'इस स्वीकारोक्ति की बेशर्मी भी बहुत चौंकाने वाली है। वे इस तथ्य के बारे में चिंतित नहीं हैं कि वे रंगे हाथों पकड़े गए, वे इस तथ्य के बारे में चिंतित हैं कि वे क्यों पकड़े गए, (और) अपने अपराध को क़ानूनी रूप से उजागर कर रहे थे।'
शुरुआत में कांग्रेस की अंदरुनी लड़ाई दिख रही थी, लेकिन बाद में इसमें बीजेपी का भी नाम आने लगा और अब कथित फ़ोन टैपिंग मामले में केंद्र सरकार भी इस मामले में शामिल होती दिख रही है।
हालाँकि राजस्थान कांग्रेस में राजनीतिक उठापटक में शामिल होने से बीजेपी इनकार करती रही है। सचिन पायलट का बयान भी बीजेपी से ख़ुद को किनारा करने वाला ही रहा है। इसी हफ़्ते पायलट ने साफ़ तौर पर कहा था कि वह बीजेपी में शामिल नहीं होंगे और पार्टी नेतृत्व के सामने उनकी छवि को ख़राब करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा था कि वह अभी भी कांग्रेसी हैं। हालाँकि कांग्रेस के नेता पायलट के इस दावे पर सवाल उठाते रहे हैं। गहलोत ने 15 जुलाई को आरोप लगाया था, 'प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष बीजेपी के साथ डील कर रहे थे।'
राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच पायलट खेमे को लेकर संशय बना हुआ है। 18 बाग़ी विधायकों के साथ सचिन पायलट कहाँ है इसका कुछ पता नहीं है। एक दिन पहले जो ख़बर आई थी कि वे कर्नाटक के बेंगलुरु जाने वाले हैं, इसका खंडन किया गया है। 'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार एक बाग़ी विधायक ने कहा कि वे बेंगलुरु नहीं जा रहे हैं। हालाँकि उन्होंने यह नहीं बताया कि वे फ़िलहाल किस जगह पर हैं।
पायलट खेमे के विधायकों का शुक्रवार से ही पता नहीं है कि वे कहाँ है। हरियाणा के मानेसर में जिस होटल में वे ठहरे थे वहाँ जब राजस्थान पुलिस की टीम गई तो उनका कुछ पता नहीं चला था।
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