उदयपुर में कत्ल कर दिए गए दर्जी कन्हैया लाल को 10 जून को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। कन्हैया लाल के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने को लेकर एफआईआर दर्ज कराई गई थी। जमानत मिलने के बाद कन्हैया लाल ने उन्हें हत्या की धमकियां मिलने की जानकारी पुलिस को दी थी और सुरक्षा की मांग की थी।
राजस्थान के एडीजी (कानून और व्यवस्था) हवा सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कन्हैया लाल को 10 जून को गिरफ्तार किया गया था और अदालत से जमानत मिलने के बाद अगले ही दिन उन्हें रिहा कर दिया गया था।
बता दें कि कन्हैया लाल की मंगलवार को दो लोगों ने दुकान में घुसकर हत्या कर दी थी। हत्या करने वाले दोनों ही लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्होंने एक वीडियो जारी कर हत्या की जिम्मेदारी ली थी। कन्हैया लाल की हत्या बीजेपी नेता नूपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी का समर्थन किए जाने को लेकर की गई थी।
इसके बाद उदयपुर में जोरदार हंगामा हुआ और पुलिस को कर्फ्यू लगाना पड़ा। 24 घंटे के लिए इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है।
हुआ था सुलह समझौता
एडीजी हवा सिंह ने बताया कि 15 जून को कन्हैया लाल ने लिखित में एक शिकायत देकर उन्हें जान से मारने की धमकियां मिलने की बात कही थी। एडीजी ने बताया कि संबंधित एसएचओ ने उन लोगों को फोन किया था जो कन्हैया लाल को धमकियां दे रहे थे। इसके बाद दोनों समुदायों के कुछ जिम्मेदार लोगों ने आपस में बैठकर सुलह समझौता कर लिया था।
एडीजी के मुताबिक, इसके बाद कन्हैया लाल ने एक लिखित पत्र में कहा था कि अब वह किसी तरह की आगे की कार्रवाई नहीं चाहते। एडीजी ने कहा कि इसलिए पुलिस ने उन्हें मिल रही धमकियों को लेकर आगे की कार्रवाई नहीं की।
कन्हैया लाल की हत्या में गिरफ्तार किए गए दो लोग मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद हैं।
15 जून को पुलिस को लिखे खत में कन्हैया लाल ने कहा था कि नाजिम अहमद ने 3 दिन तक उसकी दुकान की रेकी की है और उसने इस बात को सुना है कि जैसे ही मैं अपनी दुकान खोलूंगा वे लोग मेरी हत्या की कोशिश करेंगे।
कन्हैया लाल ने अपने पत्र में कहा था कि उसके नाम और उसकी फोटो को मुसलिम समुदाय के ग्रुप में वायरल कर दिया गया था और यह कहा गया था कि वह किसी को कहीं भी मिले तो उसकी हत्या कर दी जानी चाहिए क्योंकि उसने आपत्तिजनक टिप्पणी की है।
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