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फाइल फोटो

गहलोत-पायलट केस: राजस्थान जीतने का कांग्रेस ने निकाला यह फॉर्मूला...

हाल में राजस्थान कांग्रेस में आए संकट से उबरने के लिए क्या कांग्रेस आलाकमान ने फॉर्मूला ढूंढ लिया है? क्या राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहे मनमुटाव को दूर करने के उपाय कर लिए गए हैं? यदि मीडिया रिपोर्टों में आई सूत्रों के हवाले से ख़बर की मानें तो काफ़ी हद तक पार्टी आलाकमान ने इसके लिए एक तरकीब निकाली है।

यह तरकीब इस केंद्र बिंदु पर केंद्रित है कि चुनाव से पहले एकता लाई जाए और मुख्यमंत्री का चेहरा पहले घोषित नहीं किया जाए। समझा जाता है कि इस लक्ष्य को पाने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट को आश्वासन दिया है कि वह अशोक गहलोत सरकार को उनकी तीन मांगों पर कार्रवाई करने का निर्देश देगी। इन तीन मांगों में राजस्थान में पिछली वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के मामलों की जांच भी शामिल है। इसके अलावा पार्टी में आगे किसी तनाव को बढ़ने से रोकने के लिए पार्टी मंचों के बाहर बोलने वाले नेताओं के खिलाफ चेतावनी दी गई है। तो क्या यह तरीका कारगर होगा? इस पर उन नेताओं की प्रतिक्रिया कैसी है?

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सचिन पायलट ने तो पत्रकारों से कहा है कि सकारात्मक चर्चा हुई। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक पर सचिन पायलट ने कहा, '...बहुत सार्थक, व्यापक और महत्वपूर्ण चर्चा हुई। हमने सभी मुद्दों पर चर्चा की... हमारा संगठन, हमारे नेता, हमारे विधायक और मंत्री सभी साथ मिलकर काम करेंगे और जैसा कि मैं हमेशा कहता रहा हूं कि हमारा लक्ष्य है कि राजस्थान में फिर से कांग्रेस की सरकार कैसे बने...।'

पायलट ने आगे कहा, 'राजस्थान में आगामी चुनाव को लेकर सार्थक चर्चा हुई है... बीजेपी ने भ्रष्टाचार और युवाओं की समस्याओं के मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की बहुत कोशिश की है... पार्टी ने संज्ञान लिया है। सभी मुद्दों पर... सभी चर्चाएं अच्छी रहीं। पार्टी ने मुझे पहले जो भी भूमिका दी है, मैंने हमेशा उसके संबंध में अपने कर्तव्यों को पूरा किया है, मैं भविष्य में भी ऐसा ही करता रहूंगा...।' पायलट ने चर्चा को सकारात्मक, सार्थक और व्यापक बताते हुए कहा, 'हम एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे।' 

राजस्थान में पार्टी की अंदरुनी कलह को दूर करने के लिए आलाकमान ने यह बैठक की। राज्य में पार्टी पायलट और गहलोत के बीच लंबे समय से चल रही खींचतान में फंसी हुई है। 
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने युवा नेता को आश्वासन दिया। इसके साथ ही उन्होंने वरिष्ठ नेता को सावधान किया है। उन्होंने अपनी सरकार की लोकप्रिय कल्याणकारी योजनाओं के लिए गहलोत की सराहना की।

पार्टी मुख्यलाय में क़रीब चार घंटे तक बातचीत चली। इसमें पायलट के साथ ही राज्य के 28 अन्य नेता मौजूद थे। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार बैठक में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति को मज़बूत करने पर जोर दिया गया। कुछ दिन पहले बाएं पैर के अंगूठे में फ्रैक्चर के बाद डॉक्टरों ने अशोक गहलोत को आराम की सलाह दी थी और इस वजह से वह ऑनलाइन बैठक में शामिल हुए।

बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने कहा कि नेताओं को अनुशासन बनाए रखने के लिए सख्त चेतावनी दी गई है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि पार्टी की राजस्थान इकाई शुक्रवार से राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए घर-घर अभियान शुरू करेगी।

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राजस्थान के एआईसीसी प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, वेणुगोपाल ने इस सवाल को टाल दिया कि मुख्यमंत्री के लिए पार्टी का उम्मीदवार कौन होगा। यह पद पायलट और गहलोत के बीच विवाद का विषय रहा है। उन्होंने कहा, 'आप हमारा इतिहास जानते हैं। हम कभी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं करते। लेकिन हम चुनाव मिलकर लड़ेंगे। एक सरकार है, एक अच्छी सरकार है जो अच्छा काम कर रही है...उस काम का परिणाम मिलेगा।' 

राहुल ने चिंता व्यक्त की कि एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक पार्टी का मुख्य वोट आधार हैं, लेकिन उन्हें सरकार में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है और सत्ता में हिस्सेदारी नहीं मिल रही है, और इसे भी ठीक करने की जरूरत है।

खड़गे ने गहलोत से दो टूक कहा कि राजस्थान में दलितों पर अत्याचार के कई मामले सामने आए हैं और उन्हें कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष ने त्वरित कार्रवाई की ज़रूरत पर बल देते हुए कबीर के दोहे 'कल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगा कब' का पाठ किया और गहलोत से कमर कसने और युद्ध की मुद्रा में आने को कहा।

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बता दें कि पायलट ने हाल के महीनों में गहलोत के ख़िलाफ़ खुलेआम मोर्चा खोल दिया था। इसी साल मई महीने में सचिन पायलट ने गहलोत को अल्टीमेटम दिया था। उन्होंने कहा था कि अब तक तो उन्होंने गांधीवादी तरीक़े से अनशन किया, जनसंघर्ष यात्रा की है, लेकिन महीने के आख़िर तक मांगें पूरी नहीं हुई तो पूरे प्रदेश में आंदोलन करूँगा। उन्होंने 'युवाओं के हित' और 'भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़' कार्रवाई से जुड़ी तीन मांगें रखी थीं। वह भ्रष्टाचार को लेकर वसुंधरा राजे पर कार्रवाई करने की मांग करते रहे हैं।

इससे क़रीब हफ़्ते भर पहले पायलट ने वसुंधरा सरकार के कथित भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ कार्रवाई के लिए अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ अनशन किया था। तब पायलट ने कहा था कि लोगों को भरोसा देना ज़रूरी है कि कांग्रेस सरकार 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले किए गए अपने बयानों और वादों पर काम कर रही है। भ्रष्टाचार के मुद्दे के बहाने ही पायलट गहलोत के ख़िलाफ़ आक्रामक हैं। गहलोत भी पायलट पर हमले का कोई मौक़ा नहीं छोड़ रहे हैं।

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दोनों नेताओं के बीच ताजा तनातनी तब शुरू हुई थी जब राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने 2020 के विद्रोह में शामिल विधायकों पर भाजपा से पैसे लेने का आरोप लगाया था। पायलट समेत 19 विधायकों ने राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की मांग की थी, जिसके बाद उन्हें डिप्टी सीएम के पद से बर्खास्त कर दिया गया था। पायलट नियमित रूप से गहलोत सरकार पर निशाना साधने के लिए भ्रष्टाचार के मुद्दे का इस्तेमाल करते रहे हैं।

राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां कांग्रेस 2024 के महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों से पहले एक और कार्यकाल के लिए प्रयासरत है। लेकिन सवाल है कि क्या पार्टी इसके लिए एकजुट होकर लडे़गी या फिर दो खेमों में बंटकर संकट में डूबी रहेगी?

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क़मर वहीद नक़वी
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