छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की तरह राजस्थान में भी बीजेपी ने सीएम के नाम पर चौंकाया है। इसने पहली बार विधायक बने भजन लाल शर्मा को राजस्थान का मुख्यमंत्री नियुक्त किया है। जब इनके नाम की घोषणा हो रही थी तो वह विधायक दल की बैठक में पीछे की कतार में बैठे थे।
भजन लाल शर्मा सांगानेर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने हैं। वह राजस्थान के भरतपुर निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता हैं, लेकिन उन्हें वहां टिकट नहीं दिया गया क्योंकि समझा जाता है कि यह सीट तब जीतने लायक नहीं दिख रही थी। उन्होंने सांगानेर से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
हालाँकि, वह पहली बार विधायक बने हैं लेकिन वह राजस्थान में भाजपा के संगठनात्मक ढाँचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। वह संगठन के आदमी हैं। वह राज्य में भाजपा के सबसे लंबे समय तक रहे महासचिवों में से एक हैं।
राजनीति में अपने शुरुआती दिनों में शर्मा भाजपा के वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी एबीवीपी के साथ रहे हैं। उन्हें राजस्थान में किसी भी पार्टी गतिविधि के लिए सबसे आगे रहने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। वह ऊंची जाति के नेता हैं, लेकिन लो प्रोफ़ाइल रहते हैं।
भजन लाल शर्मा को पार्टी के वैचारिक संरक्षक आरएसएस और उसके प्रमुख जेपी नड्डा का क़रीबी माना जाता है।
उनके चुनावी हलफनामे के मुताबिक उनके पिता का नाम किशन स्वरूप शर्मा है। उन्होंने 1993 में राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से एमए (राजनीति) पूरा किया।
चुनावी हलफनामे में उन्होंने 1.5 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की, जिसमें 43.6 लाख रुपये की चल संपत्ति और 1 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति शामिल है।
बता दें कि सीएम के तौर पर भजन लाल शर्मा के साथ ही दो उपमुख्यमंत्रियों के नाम की घोषणा भी की गई है। दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा राजस्थान के उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं। वासुदेव देवनानी विधानसभा स्पीकर चुने गए हैं। दीया कुमारी राजपूत समाज से हैं जबकि प्रेमचंद बैरवा दलित समाज से आते हैं। माना जा रहा है कि भाजपा ने इनके जरिये जाति समीकरणों को साधने की कोशिश की है।
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