पंजाब में शनिवार को कांग्रेस को एक बार फिर जोरदार झटका लगा जब उसके कई बड़े नेता बीजेपी में शामिल हो गए।
बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं में पूर्व मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू, राज कुमार वेरका, केवल सिंह ढिल्लों, सुंदर शाम अरोड़ा, गुरप्रीत कांगड़ आदि शामिल हैं।
इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल की नेता बीबी महिंदर कौर जोश, सरूप चंद सिंगला, मोहाली के मेयर अमरजीत सिंह सिद्धू ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया।
इस मौके पर वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत, राज्यसभा सांसद दुष्यंत गौतम, पंजाब बीजेपी के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा, राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ व कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
बलबीर सिंह सिद्धू कांग्रेस की सरकार में मंत्री थे और तीन बार विधायक रहे हैं जबकि गुरप्रीत कांगड़ भी सरकार में मंत्री और तीन बार विधायक रहे हैं।
राजकुमार वेरका पंजाब में दलित आबादी के बड़े नेता हैं और मंत्री रहने के साथ ही 3 बार विधायक रह चुके हैं। सुंदर शाम अरोड़ा कांग्रेस की सरकार में मंत्री थे और होशियारपुर से विधायक रहे हैं। शनिवार को ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी चंडीगढ़ में स्थित पंजाब बीजेपी के दफ्तर पहुंचे और कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।
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कुछ दिन पहले ही पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। उसके बाद से ही यह माना जा रहा था कि जाखड़ पंजाब कांग्रेस में बड़ी तोड़फोड़ कर सकते हैं।
हिंदू नेताओं को जोड़ रही पार्टी
राजकुमार वेरका, सुंदर शाम अरोड़ा पंजाब में कांग्रेस का बड़ा हिंदू चेहरा माने जाते थे। इसी तरह सुनील जाखड़ भी पंजाब कांग्रेस के बड़े हिंदू चेहरे थे। पंजाब में 38 फीसद हिंदू आबादी है और बीजेपी की कोशिश है कि कांग्रेस की करारी हार के बाद वह हिंदू वोटों के बड़े हिस्से को अपने पाले में ले आए। साथ ही वह मजबूत सिख नेताओं को भी पार्टी से जोड़ने के काम में जुटी हुई है।
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कांग्रेस की बुरी हालत
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पंजाब में बुरी तरह हारी। उसके मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी दोनों सीटों से चुनाव हारे जबकि प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी अपनी सीट नहीं बचा सके। इसके अलावा भी कई बड़े नेताओं को विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा।
पांच राज्यों के चुनाव में हार चुकी कांग्रेस लगातार अपने नेताओं के पार्टी छोड़ने के कारण बेहद परेशान है। सुनील जाखड़ के अलावा हार्दिक पटेल और वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने भी पिछले महीने कांग्रेस को अलविदा कह दिया।
गुटबाजी ने डुबोई नैया
लंबे वक्त तक पंजाब में बड़ी सियासी ताकत रही कांग्रेस का ऐसी हालत में पहुंचना निश्चित रूप से पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं के लिए बड़ा झटका है। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का कांग्रेस छोड़कर जाना निश्चित रूप से पार्टी को भारी पड़ा है। विधानसभा चुनाव से पहले वरिष्ठ नेताओं की लगातार बयानबाजी, गुटबाजी और एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करने की वजह से पार्टी राज्य में औंधे मुंह गिर गई।
दूसरी ओर, सत्ता में आई आम आदमी पार्टी के लिए भी शुरुआती महीने बेहद खराब रहे हैं। पाकिस्तान से नशे की तस्करी, खुफिया विभाग के दफ्तर पर हमला, सिद्धू मूसे वाला की हत्या, लुधियाना में हिंदू-सिख संगठनों के बीच झड़प ऐसे मामले हैं जिन्होंने भगवंत मान सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है।
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