मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ एकजुट हो रहे कांग्रेस के बाग़ी विधायकों को पार्टी हाईकमान ने साफ संदेश दे दिया है। हाईकमान अमरिंदर सिंह के पक्ष में आगे आया है। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने बुधवार को कहा है कि अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में ही कांग्रेस पंजाब में विधानसभा का चुनाव लड़ेगी।
पत्नी मैदान में उतरीं
इधर, मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी परणीत कौर भी मैदान में उतर आई हैं। उन्होंने कहा है कि इस तरह की बातें करने का यह सही वक़्त नहीं है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कौर ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बड़ा दिल दिखाया है और इन लोगों को उनसे कुछ सीखना चाहिए।
खेमेबंदी तेज़
दूसरी ओर, बाग़ी विधायकों ने अमरिंदर के ख़िलाफ़ खेमेबंदी तेज़ कर दी है। पंजाब कांग्रेस के 80 विधायकों में से 34 ने मंगलवार को एक अहम बैठक की और कैप्टन अमरिंदर सिंह को बदलने की मांग की। इस बैठक में चार मंत्री भी शामिल रहे। इन विधायकों और मंत्रियों ने कहा कि उन्हें अब अमरिंदर सिंह पर भरोसा नहीं रहा है।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, यह बैठक कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा के सरकारी आवास पर हुई। हालांकि इस बैठक में सिद्धू और प्रदेश कांग्रेस के चार कार्यकारी अध्यक्ष मौजूद नहीं रहे लेकिन बैठक में शामिल कुछ विधायकों ने बाद में कांग्रेस मुख्यालय में सिद्धू से मुलाक़ात की।
अमरिंदर के ख़िलाफ़ बग़ावत का बिगुल बजाने वाले चार मंत्री सहित छह विधायकों ने बुधवार को पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत से देहरादून में मुलाक़ात की है। इनमें अमरिंदर सिंह के कट्टर विरोधी विधायक परगट सिंह भी शामिल हैं। परगट सिंह को सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के महासचिव (संगठन) जैसे अहम पद पर बैठाया है।
बाजवा के अलावा कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, सुखजिंदर सिंह रंधावा और सुखबिंदर सिंह सरकारिया ने भी अमरिंदर के ख़िलाफ़ बग़ावत का बिगुल बजा दिया है।
मुख्यमंत्री कार्यालय का बयान
इस बैठक को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बयान जारी किया गया है। बयान में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह की कोशिशों की मजम्मत की गई है और पार्टी नेतृत्व से इस मामले में तुरंत क़दम उठाने की मांग की गई है।
पंजाब में चुनाव महज छह महीने दूर हैं और उससे ठीक पहले एक बार फिर खड़ा हुआ यह सियासी बवाल सत्ता से पार्टी की विदाई करा सकता है। पंजाब कांग्रेस में कैप्टन अमरिंदर सिंह बनाम नवजोत सिंह सिद्धू के कैंप के बीच लंबे वक़्त तक चले संघर्ष के बाद सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।
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