कहा जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान ने सिद्धू बनाम अमरिंदर सिंह की जंग में सुलह का फ़ॉर्मूला निकाल लिया है। पंजाब मामलों के प्रभारी और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने भी कुछ दिन पहले कहा था कि जुलाई के पहले हफ़्ते तक इस मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा। बता दें कि सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला हुआ है और पार्टी आलाकमान इसका हल निकालने में जुटा हुआ है।
इससे पहले मंगलवार को जब यह ख़बर पंजाब से लेकर दिल्ली तक के सियासी गलियारों में जोर से उड़ी कि नवजोत सिंह सिद्धू की दिल्ली में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाक़ात होनी है तो तमाम ख़बरनवीस राहुल गांधी के घर के बाहर जमा हो गए लेकिन शाम को जब राहुल ने यह कहा कि सिद्धू से मुलाक़ात का कोई शेड्यूल ही तय नहीं है तो असमंजस वाले हालात बन गए।
बिना मिले लौट गए थे अमरिंदर
कुछ दिन पहले जब कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली आए थे तो उनकी भी मुलाक़ात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी या राहुल गांधी से नहीं हुई थी और कैप्टन बिना मिले ही पंजाब लौट गए थे। तब अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस आलाकमान की ओर से बनाए गए पैनल के सामने जोरदार विरोध दर्ज कराया था और कहा था कि नवजोत सिंह सिद्धू ने मीडिया में उनके ख़िलाफ़ बयानबाज़ी की है।
यह साफ है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू का झगड़ा कांग्रेस आलाकमान के लिए सिरदर्द बन गया है। आलाकमान जानता है कि इस घमासान का जड़ से ख़ात्मा नहीं किया गया तो यह राज्य की सत्ता से उसकी विदाई करा देगा।
अमरिंदर सिंह नाराज़
सिद्धू ने जिस तरह कुछ मीडिया इंटरव्यू में कैप्टन को झूठा कहा है, इससे अमरिंदर सिंह बेहद नाराज़ हैं। कैप्टन ने इस बात पर एतराज जताया है कि सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रधान या डिप्टी सीएम बनाया जाए। दूसरी ओर पैनल ने कैप्टन से जो वादे अधूरे रह गए हैं, उन्हें बचे हुए महीनों में पूरा किए जाने के बारे में बात की थी। इस पैनल में वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत और दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जय प्रकाश अग्रवाल शामिल हैं।
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क्या है नाराज़गी?
सिद्धू सहित पंजाब कांग्रेस के कुछ और नेताओं की शिकायत है कि 2015 में गुरू ग्रंथ साहिब के बेअदबी मामले और कोटकपुरा गोलीकांड के दोषियों को सत्ता में आने के साढ़े चार साल बाद भी नहीं पकड़ा जा सका है। अमरिंदर सिंह पर आरोप है कि उन्होंने बेअदबी मामले में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उनके परिवार को बचाने की पूरी कोशिश की है और ऐसा करके जनता से धोखा किया गया है। क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने पंजाब में जनता से वादा किया था कि वह इस मामले के दोषियों को सजा दिलाएगी।
इसके अलावा ज़मीन, रेत, ड्रग्स, केबल और अवैध शराब के माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई न होने का भी सवाल विधायकों ने पैनल के सामने उठाया था। विधायकों का कहना था कि अमरिंदर सिंह के कामकाज का तरीक़ा तानाशाही वाला है।
कुछ भी हो कांग्रेस आलाकमान को चुनाव से 8 महीने पहले शुरू हुए इस सत्ता संघर्ष को थामना ही होगा, वरना दिल्ली पहुंचे इन विधायकों-नेताओं की नाराज़गी पार्टी को भारी पड़ेगी, यह तय माना जाना चाहिए।
अब कांग्रेस आलाकमान कौन सा ऐसा रास्ता निकाले, जिससे वह इस घमासान से पार पा सके। मुख्यमंत्री को बदलने का जोख़िम वह उठा नहीं सकता क्योंकि चुनाव नज़दीक हैं। सिद्धू के अलावा भी कई लोग नाराज़ हैं, उनकी बातों को भी नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।
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