पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा के बीच चल रहे सियासी घमासान के बीच बाजवा ने एक और भड़काऊ बयान दे दिया है।
इससे पहले अमरिंदर को खुलेआम कुंभकरण तक बता चुके राज्यसभा सांसद बाजवा ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा, ‘मेरे और राज्यसभा सांसद शमशेर सिंह दूलों के 121 लोगों की मौत का मुद्दा उठाने के बाद कैप्टन साहब ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है क्योंकि वह सोच रहे हैं कि उनकी ही पार्टी के सांसद इसे लेकर सवाल उठा रहे हैं।’ बाजवा अमृतसर के तरनतारन में हुए शराब कांड को लेकर बात कर रहे थे।
बाजवा ने लगाई सवालों की झड़ी
बाजवा ने एएनआई से कहा, ‘दो साल पहले अमृतसर में एक ट्रेन हादसा हुआ था जिसमें 60 लोग मारे गए, आपने (अमरिंदर) एसआईटी बनाई लेकिन कुछ नहीं हुआ। बटाला में पटाखे की फ़ैक्ट्री में धमाका हुआ, एसआईटी बनाई लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब आप इस हादसे के वक्त भी एसआईटी बना रहे हैं।’
बाजवा ने कहा, ‘क्या जालंधर के कमिश्नर इस मामले की जांच कर सकते हैं क्योंकि एक्साइज विभाग अमरिंदर के पास है और गृह मंत्री होने के नाते पुलिस भी उन्हीं के पास है।’
बाजवा ने कहा कि जैसे ही उन्होंने और दूलों ने राज्यपाल को यह ज्ञापन दिया कि इस मामले की सीबीआई और ईडी से जांच कराई जाए, कैप्टन ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया और वह इस स्थिति में पहुंच गए कि मेरी पुलिस सुरक्षा को वापस ले लिया।
बाजवा ने जोरदार हमला बोला और कहा कि अमरिंदर सिंह जी, ‘आप लोकतांत्रिक रूप से चुने हुए मुख्यमंत्री हैं और पटियाला के महाराजा नहीं है।’
इस पूरे झगड़े को लेकर कांग्रेस आलाकमान की मुसीबत बढ़ गई है क्योंकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर बाजवा और दूलों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की मांग की है।
जाखड़ को शकुनि मामा बताया
जाखड़ ने कहा था कि हमें इस तरह की अनुशासनहीनता के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी होगी और उन्होंने इन दोनों नेताओं के ख़िलाफ़ मजबूत केस बनाया है। हालांकि कांग्रेस आलाकमान की ओर से अभी इस मामले में कोई जवाब नहीं आया है। बाजवा ने सुनील जाखड़ को शकुनि मामा बताया था।
दूसरी ओर बाजवा ने कहा था, ‘कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जाखड़ को तुरंत उनके पदों से हटाया जाना चाहिए। मैंने आलाकमान से कहा है कि अगर आप यहां कांग्रेस को जिंदा रखना चाहते हैं तो लीडरशिप बदलिए।’
आलाकमान के लिए कोई कार्रवाई करना इसलिए मुश्किल है क्योंकि बाजवा और दूलों, दोनों ही प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं और वर्तमान में पार्टी के राज्यसभा सांसद भी हैं। लेकिन ये दोनों नेता भी अमरिंदर को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाने तक चुप बैठने वाले नहीं हैं।
पंजाब भी जाएगा हाथ से?
ऐसे में ये लड़ाई कांग्रेस आलाकमान के लिए कहीं राजस्थान से भी बड़ा सिरदर्द न साबित हो जाए। अमरिंदर को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाने का जोख़िम इसलिए नहीं लिया जा सकता क्योंकि इससे प्रदेश कांग्रेस में भगदड़ मच जाएगी और डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथ से यह राज्य भी निकल जाएगा, इसमें कोई दो राय नहीं है।
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