कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भले ही यह कहा हो कि उन्होंने हमेशा खुलकर बात करने की हिमायत की है और उनसे मीडिया के जरिये बात करने की कोई ज़रूरत नहीं है, नवजोत सिंह सिद्धू ने उन्हें एक चिट्ठी लिख कर उसे सार्वजनिक कर दिया। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष ने यह चिट्ठी ऐसे समय लिखी है जब कुछ दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि वे पार्टी की हर बात मानने को तैयार हैं।
नवजोत सिंह सिद्धू ने इस चिट्ठी में 13 बिन्दुओं का एक एजेंडा पार्टी अध्यक्ष को दिया है और कहा है कि 2017 में चुनाव पूर्व वायदे पूरे किए जाने चाहिए और जल्द से जल्द काम किए जाने चाहिए।
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) October 17, 2021
'कांग्रेस को बचाने का अंतिम मौका'
उन्होंने कहा है कि पंजाब में कांग्रेस को बचाने का यह अंतिम मौका है और इसके बाद डैमेज कंट्रोल का कोई मौका नहीं मिलेगा।
उनके इस 13 बिन्दुओं वाले एजेंडे में गुरु ग्रंथ साहिब से बदसलूकी से लेकर पंजाब को नशा मुक्त करने, रोज़गार के मौके पैदा करने, कृषि के लिए ज़रूरी ढाँचागत सुविधाएं तैयार करने जैसे कई मुद्दे शामिल हैं।
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चिट्ठी की सार्वजनिक
पंजाब कांग्रेस प्रमुख ने यह चिट्ठी 15 अक्टूबर को ही लिखी थी, लेकिन उसे 17 अक्टूबर को ट्वीट कर सार्वजनिक कर दिया। सिद्धू ने इसके साथ ही सोनिया गांधी से मिलने का समय मांगा है।
उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष से कहा है कि वे पंजाब सरकार को दिशा निर्देश दें ताकि सरकार लोगों के हितों के अनुरूप काम करे।
यह साफ है कि सिद्धू के निशाने पर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी हैं। इससे यह एक बार फिर उजागर होता है कि सिद्धू चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने से खुश नहीं हैं और मौजूदा मुख्यमंत्री से शुरुआत से ही उनकी नहीं बन रही है।
हमलावर तेवर बरक़रार
सिद्धू ने इसके पहले पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर लगातार हमला बोला था। उनके दवाब में ही कैप्टन को पद से हटाया गया, लेकिन सिद्धू इससे भी खुश नहीं हैं।
सिद्धू ने सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में कहा है, "देश का सबसे समृद्ध राज्य रहने वाला पंजाब आज सबसे बड़ा क़र्ज़दार बन चुका है।"
उन्होंने इसके साथ ही बालू खनन का मुद्दा भी उठाया और कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों के कल्याण के लिए काम किया जाना चाहिए।
याद दिला दें कि सिद्धू ने बीते दिनों चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद कैबिनेट के गठन व ऊँचे पदों पर नियुक्ति में मुख्यमंत्री से मतभेद के बाद प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।
उन्होंने कहा था कि वे पंजाब के मुद्दे पर और अपने मूल्यों पर समझौता नहीं कर सकते।
ऐसे में सीधे सोनिया गांधी को पत्र लिखने और उसे सार्वजनिक करने से यह साफ है कि पंजाब कांग्रेस का अंतरकलह अभी शांत नहीं हुआ है।यह भी साफ है कि अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने और खुद को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बावजूद वे संतुष्ट नहीं हैं। कांग्रेस का यह अंतरविरोध और कलह ऐसे समय बढ़ता ही जा रहा है कि पंजाब में कुछ महीने बाद ही विधानसभा चुनाव है।
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