पंजाब में रविवार को 117 सीटों के लिए हुए मतदान में कुल 65.32% वोटिंग हुई जबकि उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण के चुनाव में 60.46% मतदान हुआ। पंजाब का चुनाव इस बार बेहद जोरदार इसलिए है क्योंकि दो परंपरागत पार्टियों शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस के अलावा एक तीसरी पार्टी यानी आम आदमी पार्टी राज्य में इन दोनों को जबरदस्त टक्कर दे रही है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी खुद की एक पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस बनाई है और इसे बीजेपी का साथ मिला है। अमरिंदर सिंह को पिछले साल मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया गया था। कांग्रेस पंजाब पर अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश में है।
पंजाब में प्रमुख चेहरे चमकौर साहिब सीट से मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के ख़िलाफ़ अमृतसर पूर्व सीट से शिअद के बिक्रम सिंह मजीठिया, पटियाला से कैप्टन अमरिंदर सिंह, जलालाबाद विधानसभा क्षेत्र से सुखबीर सिंह बादल, लांबी सीट से प्रकाश सिंह हैं। मजीठा सीट से गनीवे कौर मजीठिया और बठिंडा सीट से हरसिमरत कौर बादल भी चुनाव मैदान में हैं।
पंजाब के चुनाव नतीजे क्या होंगे इसका पता 10 मार्च को चलेगा लेकिन राज्य में पहले के चुनावी नतीजों से भी एक अंदाज़ा मिल सकता है।
2017 के पंजाब विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 77 सीटें जीतकर शिअद-बीजेपी गठबंधन के 10 साल के शासन को समाप्त कर दिया था। तब आप 20 सीटें जीतने में सफल रही थी जबकि शिअद-बीजेपी ने 18 सीटें जीती थीं। दो सीटें लोक इंसाफ पार्टी को मिली थीं।
जातिगत समीकरण
पंजाब में दलित काफी संख्या में हैं। जहाँ आबादी सिख दलित और हिंदू दलितों के बीच बंटी हुई है वहीं सिख हिंदू दलितों के बीच भी कई समाज हैं जो अपनी अलग अलग विचारधारा रखते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार पंजाब में दलितों की आबादी क़रीब 32% है। इसमें से 19.4% दलित सिख हैं और 12.4% हिंदू दलित हैं। वहीं कुल दलित आबादी में से क़रीब 26.33% मजहबी सिख, 20.7% रविदासी और रामदासी हैं, आधी धर्मियों की आबादी 10% है और 8.6% वाल्मीकी समाज से हैं।
कौन-कौन से इलाके?
पंजाब राजनीतिक विश्लेषण के लिहाज से तीन क्षेत्रों-मालवा, माझा और दोआबा के तौर पर देखे जाते हैं। मालवा में 11 ज़िले हैं और इसके प्रमुख शहरों में लुधियाना, पटियाला, संगरूर, बठिंडा, मानसा, फिरोजपुर, फाजिल्का, मोगा आदि हैं। पंजाब की राजनीति में मालवा को शिरोमणि अकाली दल का गढ़ माना जाता है। मालवा को जट सिखों का यानी जमीदारों का इलाका माना जाता है।
माझा के इलाके में अमृतसर, गुरदासपुर तरनतारन और पठानकोट के इलाके आते हैं। जबकि दोआबा में होशियारपुर, कपूरथला, जालंधर और नवांशहर के इलाके आते हैं। दोआबा की 23 सीटों पर दलित मतदाताओं की संख्या 45 फ़ीसदी के आसपास है। मालवा इलाके में 31 फीसदी दलित मतदाता हैं जबकि माझा में इनकी संख्या 29 फीसदी है।
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