सिखों के सर्वोच्च धार्मिक स्थल श्री हरमंदिर साहिब में बेअदबी की घटना पर पूरे विश्व में विरोध जाहिर किया जा रहा है, और यह है स्वाभाविक भी है। लेकिन विरोध करने वाले तमाम सियासी, धार्मिक और सामाजिक संगठन इस पर खामोशी अख्तियार किए हुए हैं कि इस पावन स्थल पर 'लिंचिंग' भी हुई। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी शख्स को परिसर के अंदर भीड़ ने इस तरह से पीट कर मार डाला हो। सरकार से लेकर विपक्ष तक इस पर खामोश है।
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने बेअदबी घटना की जांच के उच्चस्तरीय आदेश दिए हैं जबकि शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने घटनाक्रम की जांच के लिए केंद्र सरकार से कहा है।
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को इसमें केंद्रीय एजेंसियों की साजिश लगती है। बहुतेरी सिख संस्थाओं और उनके रहनुमाओं को भी ऐसा लगता है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की ओर से भी ऐसे बयान जारी होने का सिलसिला बरकरार है।
इस घटनाक्रम के बाद पंजाब के तमाम जिले हाईअलर्ट पर कर दिए गए हैं। इसलिए भी कि बेअदबी की घटना के बाद आशंका है कि पंजाब भर में विरोध और धरना प्रदर्शनों का दौर शुरू होगा। अतीत में भी ऐसा होता रहा है।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी और पूर्व अध्यक्ष बीबी जागीर कौर भी उसी भाषा में बोले। पीछे-पीछे अन्य संगठन भी। कांग्रेस का रुख भी अलहदा नहीं रहा। उप मुख्यमंत्री और गृह विभाग के मुखिया सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी इसमें गहरी साजिश देखी। आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने भी वही देखा।
अलबत्ता पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस बेअदबी की तीखी निंदा तो की लेकिन केंद्रीय एजेंसियों की साजिश इसलिए नहीं बताया क्योंकि उनका भाजपा से गठजोड़ है। होना यह है कि कैप्टन इसे राज्य सरकार की 'करतूत' बताएंगे। पंजाब भाजपा ने भी बेअदबी की घटना पर रोष व्यक्त किया है।
सियासी फायदा लेने की कोशिश
गौरतलब है कि श्री स्वर्ण मंदिर साहिब में हुई दुखदाई घटना उस वक्त दरपेश हुई जब पंजाब विधानसभा चुनाव के मुहाने पर है और कई जगह हुए बेअदबी कांड एक बड़ा मुद्दा हैं। आम सिख इससे आहत हैं। अब वहां हुई घटना से तमाम राजनीतिक दल फायदा लेने की फिराक में हैं।
विपक्ष तो विपक्ष, कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू इस मामले में अपनी ही सरकार के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से खुली अदावत रख रहे हैं। प्रसंगवश, वह भी इस घटनाक्रम के मद्देनजर नए व तीखों तेवरों में हैं।
श्री स्वर्ण मंदिर साहिब में हुई बेअदबी यकीनन निंदनीय और असहनीय है लेकिन इस सवाल का जवाब कौन देगा कि जिस शख्स ने यह सब कुछ किया उसे पीट-पीटकर मार देना कहां तक जायज है?
एसजीपीसी (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) को चाहिए था कि उससे गहन पूछताछ की जाती और पुलिस के हवाले किया जाता लेकिन जो हुआ, बेअदबी और धार्मिक भावनाओं का अपमान असहनीय है-बावजूद उसके सर्वोच्च धार्मिक स्थल पर इस तरह का कत्लेआम क्या बर्दाश्त होना चाहिए?
बेअदबी की घटनाएं
लगता यह है कि बेअदबी करने वाला शख्स मानसिक रूप से सही नहीं था। उससे पुलिस या एसजीपीसी को आधार कार्ड, मोबाइल फोन तथा कोई भी तथ्य नहीं मिला कि वह कौन था और कहां से आया था। इसी महीने एक तख्त साहिब में बेअदबी हुई थी, जिसमें एक व्यक्ति ने परिसर में बीड़ी पी थी और तब उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया था। वह डॉक्टरों के मुताबिक बाकायदा मानसिक रोगी था। इससे पहले भी पंजाब में कई धर्म स्थलों पर मानसिक रोगी बेअदबी करते पाए गए हैं।
जो हो, श्री स्वर्ण मंदिर साहिब में हुई बेअदबी घटना पर पंजाब में राजनीति खूब खेल रही है!
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