पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी और पटियाला सीट से सांसद परनीत कौर ने कांग्रेस को अलविदा कहने के साफ संकेत दे दिए हैं। उन्होंने ट्विटर पर अपनी प्रोफ़ाइल तसवीर में कैप्टन फ़ॉर 2022 की फ़ोटो लगा ली है। उन्होंने अपने ट्विटर बायो से कांग्रेस शब्द भी हटा लिया है। इससे साफ है कि वह अब कांग्रेस के साथ नहीं हैं।
इधर, अमरिंदर सिंह सोमवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिले और कहा कि बीजेपी के साथ उनका गठबंधन पंजाब में सरकार बनाएगा। पंजाब में तीन महीने के भीतर विधानसभा के चुनाव होने हैं।
पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी ने कुछ दिन पहले ही परनीत कौर को नोटिस भेजा था। चौधरी ने नोटिस में लिखा था कि उन्हें परनीत कौर के लगातार पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की जानकारी मिल रही है।
प्रभारी ने जवाब देने के लिए उन्हें सात दिन का वक़्त दिया था और कहा था कि अगर वह जवाब नहीं देती हैं तो उनके ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
परनीत कौर ने कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में कहा था कि वे अपने परिवार के साथ खड़ी हैं। अब उनके ताज़ा क़दम से साफ हो गया है कि उनकी मंशा क्या है। परनीत कौर का पंजाब की सियासत में बड़ा क़द है। वह चार बार सांसद रही हैं और यूपीए सरकार में विदेश राज्य मंत्री जैसे बड़े ओहदे पर रह चुकी हैं।

चार बार सांसद रह चुकीं परनीत कौर और लगभग 10 साल पंजाब के मुख्यमंत्री रहे अमरिंदर सिंह के जाने से निश्चित तौर पर कांग्रेस को थोड़ा-बहुत सियासी नुक़सान होगा।
सिद्धू भी हैं मुसीबत
कांग्रेस के लिए पंजाब में अमरिंदर सिंह ही मुसीबत नहीं हैं बल्कि उनसे बड़ी मुसीबत प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू हैं। सिद्धू की बयानबाज़ी के कारण पार्टी मुसीबत में फंसती जा रही है। सिद्धू मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के पीछे पड़े हुए हैं।
बेअदबी मामले और ड्रग्स से जुड़ी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग को लेकर वह अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ भूख हड़ताल पर बैठने का एलान कर चुके हैं। इस बयान के बाद पंजाब कांग्रेस में उनके ख़िलाफ़ नाराज़गी है। सिद्धू की पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ के साथ भी जुबानी तकरार चल रही है।
ऐसे में जब कुछ सर्वे इस बात को दिखा रहे हैं कि पंजाब में आम आदमी पार्टी कांग्रेस से ज़्यादा सीटें ला सकती है तो अमरिंदर की बग़ावत और सिद्धू की बयानबाज़ी कांग्रेस की मुसीबतों में इज़ाफा ही कर रही है।
अपनी राय बतायें