पंजाब और हरियाणा के किसान कृषि को लेकर मोदी सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ दिल्ली पहुँचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आख़िर क्यों कड़कड़ाती ठंड में भी पानी की बौछारें किसानों के आक्रोश को ठंडा नहीं कर पा रही हैं?
केंद्र सरकार द्वारा मालगाड़ियों को न चलाए जाने के कारण पंजाब में बिजली का संकट गहरा गया है क्योंकि राज्य में कोयला न पहुंचने के कारण पावर प्लांट पूरी तरह बंद हो गए हैं।
हाथरस गैंगरेप केस के बाद इसी तरह का एक और मामला राजनीति के केंद्र में आ गया है। इस पर भी घात-प्रतिघात और आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं और राजनीतिक दल बिल्कुल संवेदनहीन होकर एक-दूसरे पर चोट कर रहे हैं।
मोदी सरकार को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उस पर देश की जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप लगते रहें। क्योंकि एक ताज़ा वाक़या इसी ओर इशारा करता है।
संसद से पारित कृषि कानून को बेकार करने के लिए राज्य विधानसभा में विधेयक लाए जा रहे हैं। पंजाब ने विधान सभा में विधेयक पास कर केंद्र के कानून को बेअसर करने की पहल शुरू कर दी है।
लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों के बाद पंजाब की कैबिनेट से इस्तीफ़ा देने वाले नवजोत सिंह सिद्धू लंबे समय तक शांत रहने के बाद फिर फ़ॉर्म में आते दिख रहे हैं।
अपनी शेरो-शायरियों और अलग ही अंदाज में भाषण देने की कला से चर्चा बटोरने वाले नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर अपनी पुरानी पार्टी बीजेपी में लौटने के लिए तैयार हैं।
शिवसेना के बाद सबसे लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी के साथ रहने वाले अकाली दल ने अलग रास्ता तो चुन ही लिया है, उसने सत्तारूढ़ दल के ख़िलाफ़ एक बड़े और नए राजनीतिक गठबंधन बनाने का संकेत देकर राजनीति में दिलचस्प मोड़ ला दिया है।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के बीजेपी के साथ छोड़ने के बाद कई तरह के सवाल पंजाब की सियासत में खड़े हो रहे हैं।