सिद्धू ने कहा था कि वह कांग्रेस नेतृत्व के आदेश का पालन करेंगे। हरीश रावत ने भी उनसे पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर पूरी ताक़त के साथ काम करने के लिए कहा था।
पंजाब में पांच महीने के अंदर चुनाव होने हैं और उससे ठीक पहले सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे देने से कांग्रेस निश्चित रूप से मुश्किलों से घिर गई है।
पंजाब उन तीन राज्यों में से एक है, जहां पार्टी की अपने दम पर सरकार है। लेकिन सिद्धू की हरक़तें पंजाब में कांग्रेस के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगा रही हैं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि पंजाब के 79 में से 78 विधायकों ने मुख्यमंत्री को हटाने की मांग की थी। इसके जवाब में कैप्टन ने कहा कि कांग्रेस ठीक से झूठ भी नहीं बोल पा रही है।
लगभग दस साल तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे बुजुर्ग राजनेता कैप्टन अमरिेंदर सिंह ने कांग्रेस पार्टी छोड़ने की घोषणा कर दी है। क्या है मामला, अब क्या करेगी कांग्रेस?
नवजोत सिंह सिद्धू को क्या मनाने की कोशिशें तेज़ हो गई हैं? मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने फ़ोन कर सिद्धू से बात की है तो क्या वह बैठ कर बातचीत करेंगे?
नवजोत सिंह सिद्धू क्या राज्य में पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद भी पंजाब कांग्रेस का संकट और बढ़ाएँगे? उन्होंने क्यों कहा कि वह आख़िरी दम तक लड़ते रहेंगे?