विपक्षी दलों ने केजरीवाल के द्वारा पंजाब सरकार के काम में दखलंदाजी को पंजाब के स्वाभिमान का मुद्दा बना लिया तो आम आदमी पार्टी और भगवंत मान के लिए खासी मुश्किल खड़ी हो जाएगी।
जब इस प्रस्ताव को पास किया गया तो सिर्फ बीजेपी के पार्षद ही सदन में मौजूद थे जबकि आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के पार्षदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
बिट्टू के नजदीकी सूत्रों ने इस बात से इनकार किया है कि वह बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं। अहम बात यह है कि रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में भी हैं।
विधानसभा में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि वह पंजाब के हकों की लड़ाई लड़ेंगे और उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने का वक्त मांगा है।
केजरीवाल सरकार डोर स्टेप राशन डिलीवरी योजना शुरू करना चाहती थी लेकिन उप राज्यपाल और केंद्र सरकार से लंबी तनातनी के बाद भी यह योजना लागू नहीं हो सकी थी।
बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और आम आदमी पार्टी की लड़ाई दिल्ली के बाद अब पंजाब पहुँच गई है। जानिए, केंद्र ने क्या कहा है और पंजाब के नये मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रतिक्रिया में क्या कहा।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि किसी को साढ़े तीन लाख तो किसी को साढ़े चार लाख और किसी को सवा पांच लाख रुपए पेंशन मिल रही है। इससे राज्य पर करोड़ों रुपए का वित्तीय बोझ पड़ रहा है।
पंजाब में इस महीने के अंत में राज्यसभा की 6 सीटें खाली हो रही हैं। आम आदमी पार्टी को जैसी प्रचंड जीत राज्य में मिली है उससे यह माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी 5 सीटों पर आसानी से चुनाव जीत जाएगी।
पीली पगड़ी में भगत सिंह की तसवीर को लेकर आखिर विवाद क्यों हो रहा है। भगवंत मान भी अधिकतर पीली पगड़ी में ही दिखाई देते हैं और अपने चुनावी भाषणों में इंकलाब जिंदाबाद का नारा बुलंद करते रहे हैं।
मंत्री बनने वाले 10 विधायकों में से चार दलित समुदाय से हैं। मालवा क्षेत्र से 5, माझा से 4 और दोआबा क्षेत्र के 1 विधायक को मंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी।
पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस पार्टी पर फिर हमला किया। इसी के साथ सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल उठाया है कि कांग्रेस इसे क्यों बर्दाश्त कर रही है।