पंजाब में सरकार बनने पर नशा ख़त्म करने के दावे करने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार नशे से होने वाली मौतों को लेकर घिर गई है। क्या मान सरकार नशे के सौदागरों पर शिकंजा कस पाएगी?
पाकिस्तान से लगते पंजाब सूबे को चलाना आसान काम नहीं है। खालिस्तान समर्थकों के अलावा आईएसआई की कोशिश भी इस सूबे का माहौल खराब करने की है। क्या भगवंत मान इन बड़ी चुनौतियों से निपट पाएंगे?
नवजोत सिंह सिद्धू की बयानबाजियों और ढेरों गुस्ताखियों के बाद भी आज तक अगर उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है तो क्या यह नहीं समझा जाना चाहिए कि गांधी परिवार का हाथ उनके सिर पर है?
कांग्रेस आलाकमान यह संदेश देना चाहता है कि वह अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करेगा लेकिन पार्टी को मिल रही करारी हार और नेताओं के छोड़कर जाने से निश्चित रूप से पार्टी कमजोर भी हो रही है।
आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव से पहले तमाम बड़े वादे किए थे लेकिन कर्ज में डूबे पंजाब में उन सभी वादों को पूरा करना क्या भगवंत मान सरकार के लिए आसान होगा?
विपक्षी दलों ने केजरीवाल के द्वारा पंजाब सरकार के काम में दखलंदाजी को पंजाब के स्वाभिमान का मुद्दा बना लिया तो आम आदमी पार्टी और भगवंत मान के लिए खासी मुश्किल खड़ी हो जाएगी।
जब इस प्रस्ताव को पास किया गया तो सिर्फ बीजेपी के पार्षद ही सदन में मौजूद थे जबकि आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के पार्षदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।