नवजोत सिंह सिद्धू के पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि वह प्रदेश कांग्रेस को एकजुट करके पंजाब में 2024 की चुनावी लड़ाई मजबूती से लड़ेंगे। यह देखने वाली बात होगी कि क्या वह खुद में बदलाव करेंगे और कांग्रेस को मजबूत करने के काम में जुटेंगे?
बीजेपी पंजाब में मजबूती से पांव जमाने की कोशिश कर रही है और वह कांग्रेस, अकाली दल के बड़े नेताओं को पार्टी में शामिल कर रही है और उनका कद भी बढ़ा रही है। क्या उसे इसका फायदा मिलेगा?
बम धमाके के बाद से ही एनआईए हरप्रीत सिंह की तलाश में थी और जैसे ही वह आईजीआई एयरपोर्ट पर पहुंचा, एनआईए ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इस बम धमाके में एक शख्स की मौत हो गई थी और 6 लोग घायल हो गए थे
पंजाब के संगरूर में मुख्यमंत्री भगवंत मान के घर के बाहर पुलिस ने किसानों और मजदूरों पर लाठी चार्ज किया। संगरूर में भगवंत मान का किराये का घर है। जानिए क्या है प्रदर्शन की वजहः
कुख्यात खालिस्तानी आतंकी हरविंदर सिंह संधू उर्फ रिंदा के पाकिस्तान में मरने की खबर आ रही है। उसकी मौत हुई या फिर दूसरे गैंग ने उसे मारा, यह अभी साफ नहीं है। हालांकि एक गुट ने सोशल मीडिया पर कहा कि उसने रिंदा को खत्म कर दिया है। कौन था रिंदा, जानिएः
एसजीपीसी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने चिट्ठी में एसजीपीसी के चुनाव में दखल दिए जाने का जिक्र किया है। पत्र में लिखा गया है कि 9 नवंबर को हुए एसजीपीसी के वार्षिक चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का दखल साफ दिखाई दिया।
नेपाल के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में कुछ सेकेंड तक भूकंप के झटके महसूस होने के बाद कई लोगों ने सोशल मीडिया पर इसे शेयर किया था। लगातार आ रहे भूकंप के झटकों की वजह से लोग दहशत में हैं।
डेरा प्रेमी प्रदीप सिंह की हत्या के बाद पंजाब की कानून व्यवस्था को लेकर बड़े सवाल खड़े हुए हैं क्योंकि कुछ दिन पहले ही वाई श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त पंजाब के बड़े हिंदू नेता सुधीर सूरी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
पंजाब में पिछले कुछ महीनों के अंदर कई ऐसे वाकये हुए हैं जो आतंकवाद का दंश झेल चुके इस सरहदी सूबे के लिए कतई ठीक नहीं हैं। क्या पंजाब फिर से अशांत हो रहा है।
एसजीपीसी चुनाव में बीबी जगीर कौर की बगावत के बाद शिरोमणि अकाली दल की मुश्किलें बढ़ी हैं। हालांकि अकाली दल ने चुनाव में जीत हासिल की है लेकिन बादलों के नेतृत्व को पार्टी में लगातार चुनौती मिल रही है।
पंजाब की सियासत में पिछले 3 दशक में एसजीपीसी और शिरोमणि अकाली दल पर बादल परिवार की मजबूत पकड़ रही है लेकिन लगातार दो विधानसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी के अंदर से प्रकाश और सुखबीर बादल के नेतृत्व को चुनौती मिलनी शुरू हुई है। इससे शिरोमणि अकाली दल के सियासी भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं।
सुधीर सूरी की हत्या के बाद यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या पंजाब में आतंकवाद का माहौल फिर से बन रहा है। अमृतपाल सिंह की बयानबाजियों पर भगवंत मान सरकार रोक क्यों नहीं लगा रही है?
राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित और भगवंत मान सरकार के बीच चल रहे टकराव के बाद सवाल यह खड़ा होता है कि देश में जहां-जहां पर विपक्षी दलों की सरकारें हैं वहां के राज्यपालों की सरकार के साथ तनातनी क्यों रहती है।