तमाम विरोधों को दरकिनार कर नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने वाले कांग्रेस हाईकमान के लिए यह दांव शायद उल्टा पड़ गया है। सिद्धू ने लखीमपुर खीरी मामले में सक्रियता तो दिखाई लेकिन अब उनका एक ऐसा वीडियो वायरल हुआ है, जो पार्टी के लिए शर्मिंदगी का विषय बन सकता है। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देकर सिद्धू पहले ही सोनिया गांधी की राजनीतिक जगत में जमकर किरकिरी करा चुके हैं।
बता दें कि सिद्धू ने एलान किया था कि अगर शुक्रवार तक केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा की गिरफ़्तारी नहीं हुई तो वह भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे। सिद्धू ने गुरूवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ पंजाब के मोहाली से मार्च निकाला और शुक्रवार को लखीमपुर पहुंचकर वहां भूख हड़ताल भी शुरू कर दी है।
इस दौरान सिद्धू के साथ उनके क़रीबी और कैबिनेट मंत्री परगट सिंह भी खड़े हैं। परगट सिंह उन्हें शांत करने की कोशिश करते हुए कहते हैं कि चन्नी जल्द ही आ जाएंगे। वहीं खड़े पंजाब कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुखविंदर सिंह डैनी सिद्धू को बताते हैं कि यह मार्च पूरी तरह सफल रहेगा।
लेकिन सिद्धू उखड़े हुए अंदाज में कहते हैं, कहां है सफलता। वह आगे कहते हैं, सरदार भगवंत सिंह सिद्धू (सिद्धू के पिता का नाम) के बेटे को जाने तो दें, फिर पता लगेगा। क्रिकेटर से राजनेता बने सिद्धू आगे कहते हैं कांग्रेस बिलकुल मरने वाली स्थिति में है। इस दौरान उनके मुंह से एक अपशब्द भी निकलता है।
अकाली दल ने बोला हमला
सिद्धू के इस तरह के बयान को पंजाब के विपक्ष दल शिरोमणि अकाली दल ने तुरंत लपक लिया है। अकाली दल ने कहा है कि यह दिखाता है कि सिद्धू दलित समुदाय का सम्मान नहीं करते। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी को पंजाब के लोगों को बताना चाहिए कि वह एक दलित को मुख्यमंत्री बनाकर आख़िर क्यों पंजाब के लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही हैं लेकिन इसके साथ ही वह सिद्धू पर पूरा भरोसा रखती हैं।
सिद्धू ने जब पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दिया था तब भी पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा था कि वह एक स्थिर शख़्स नहीं हैं। इसके अलावा भी तमाम तरह के आरोप अमरिंदर सिंह ने सिद्धू पर लगाए थे।
पंजाब कांग्रेस के लिए मुसीबत
सिद्धू की इस तरह की हरक़तों ने निश्चित रूप से कांग्रेस को मुसीबत में डाल दिया है। पंजाब में पांच महीने के अंदर चुनाव होने हैं और उससे ठीक पहले उनका प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे देना पार्टी की सत्ता में वापसी की संभावनाओं को कमजोर कर देता है। सिद्धू की वजह से ही पार्टी ने अपने पुराने वफादार सिपाही अमरिंदर सिंह को लगभग खो दिया है।
देखना होगा कि पंजाब चुनाव से पहले सिद्धू पार्टी के लिए और मुसीबत खड़ी करते हैं या फिर पार्टी को चुनाव जिताने के लिए मैदान में पूरी ताक़त के साथ उतरते हैं।
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