पंजाब और दिल्ली की सरकार के बीच नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट हुआ है। कहा गया है कि दोनों राज्य सरकारों ने एक-दूसरे से सीखने के लिए यह समझौता किया है। लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान इस वजह से विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए हैं।
भगवंत मान दिल्ली के दौरे पर आए थे और यहां उन्होंने स्कूलों के साथ ही मोहल्ला क्लीनिक और अस्पतालों की व्यवस्था भी देखी और इसी दौरान यह समझौता किया गया।
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने कहा कि भगवंत मान ने समझौते पर नहीं बल्कि सरेंडर दस्तावेज पर साइन कर दिए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल पंजाब को दिल्ली से चलाने की कोशिश कर रहे हैं।
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने भी इस समझौते को एक राजनीतिक स्टंट बताया है। जबकि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि विपक्ष लोगों को गुमराह करने की कोशिश ना करे। आम आदमी पार्टी ने कहा है कि इस समझौते से पंजाब और दिल्ली दोनों को फायदा होगा।
कुछ दिन पहले जब अरविंद केजरीवाल ने पंजाब सरकार के अफसरों की बैठक ली थी तब भी विपक्षी दलों ने भगवंत मान सरकार पर हमला बोला था और कहा था कि पंजाब की सरकार का रिमोट कंट्रोल अरविंद केजरीवाल के हाथों में है।
इस मामले में विवाद बढ़ने के बाद भगवंत मान ने कहा था कि उन्होंने ही पंजाब के अफसरों को अरविंद केजरीवाल से मिलने के लिए भेजा था।
पंजाब में विपक्षी दलों के नेता विधानसभा चुनाव से पहले भी ऐसा आरोप लगाते थे कि अगर आम आदमी पार्टी सत्ता में आई तो सरकार दिल्ली से चलेगी। ऐसे में जब-जब मुख्यमंत्री भगवंत मान दिल्ली आएंगे तो विपक्षी दलों के द्वारा उन पर ऐसे ही सियासी हमले हो सकते हैं।
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