पंजाब में 7 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य बीजेपी के कुछ नेता किसान आंदोलन को लेकर बेहद परेशान हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता अनिल जोशी कहते हैं कि अगर किसान आंदोलन का हल नहीं निकला तो बीजेपी के नेता अपने घरों से बाहर नहीं निकल पाएंगे। जोशी शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी की सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
जोशी का डर अनायास ही नहीं है। इस साल फरवरी में जब पंजाब में नगर निगम के चुनाव हुए थे, तब भी बीजेपी के कई प्रत्याशियों को जनता के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा था। 2014 और 2019 में मरकज़ी सरकार बनाने में कामयाब रही बीजेपी के नेता इस बात के ख़्वाब देखने लगे थे कि वे अपने साथी यानी अकाली दल के बिना ही राज्य में सरकार बना सकते हैं लेकिन किसान आंदोलन ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया।
जोशी ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहते हैं कि वे पंजाब बीजेपी के नेताओं को चुनौती देते हैं कि वे बिना सुरक्षा के अपने नजदीकी गांवों में जाकर दिखाएं। राज्य बीजेपी के बड़े नेताओं में शुमार जोशी कहते हैं कि अब वे पूरे राज्य का दौरा करेंगे और किसानों के हक़ में बात करेंगे।
अख़बार के साथ बातचीत में जोशी कहते हैं कि अगर पार्टी चाहे तो वह उन्हें बाहर कर सकती है और अभी वह पार्टी में रहते हुए ही ये बात कह रहे हैं।
जोशी 2017 का चुनाव हार गए थे। किसान आंदोलन को लेकर उनकी इन बातों को कुछ बीजेपी नेता इस बार उनके फिर से टिकट हासिल करने के लिए दबाव बनाने का क़दम बताते हैं। लेकिन जोशी इस तरह की बातों को नकार देते हैं।
पंजाब से शुरू हुआ किसान आंदोलन हरियाणा, पश्चिमी यूपी और राजस्थान सहित देश के कई इलाक़ों में पहुंचा। इस आंदोलन ने पंजाब में सियासी तूफ़ान भी पैदा किया और बीजेपी के बरसों पुराने साथी शिरोमणि अकाली दल को उसका साथ छोड़ने को मजबूर होना पड़ा।
एक और नेता नाराज़
पंजाब बीजेपी के एक और वरिष्ठ नेता मोहन लाल भी जोशी की बातों का समर्थन करते हैं। मोहन लाल कई बार किसान आंदोलन को लेकर बीजेपी के स्टैंड का विरोध कर चुके हैं। वह कहते हैं कि पंजाब बीजेपी ने अगर किसानों के मुद्दों को सही ढंग से उठाया होता तो आज नतीजे अलग होते।
वह कहते हैं कि किसानों के मुद्दे पर बनाई गई कमेटी के दोनों सदस्य सुरजीत कुमार ज्यानी और हरजीत सिंह ग्रेवाल सिर्फ़ सरकार की तारीफ़ करते रहते हैं जबकि हमारे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक चुकी है।
मोहन लाल साफ शब्दों में कहते हैं कि अगर किसान आंदोलन जारी रहता है और केंद्र इसमें दख़ल नहीं देता है तो पंजाब बीजेपी को इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने पंजाब बीजेपी के एक और वरिष्ठ नेता के हवाले से कहा है कि जोशी और मोहन लाल के बयानों को टिकट के लिए दबाव बनाने से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और पंजाब से ही आने वाले तरूण चुघ कहते हैं कि पार्टी के भीतर चल रही इस तरह की चर्चाओं को असंतोष के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जोशी और मोहन लाल हमारे भाई हैं और पार्टी के लिए जो अहम मुद्दे हों, हम सभी उन्हें उठाते रहते हैं।
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विधायक के कपड़े फाड़े थे
पंजाब में आज के जो हालात हैं उन्हें मार्च में हुए एक वाक़ये से और बेहतर ढंग से समझा जा सकता है। इस वाक़ये में अबोहर सीट से बीजेपी विधायक अरुण नारंग पर मुक्तसर जिले में किसानों ने हमला कर दिया था। किसान इतने आक्रोशित थे कि उन्होंने अरुण नारंग के कपड़े तक फाड़ दिए थे। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हुआ था।
हरियाणा में भी जबरदस्त विरोध
हरियाणा के हालात भी पंजाब जैसे ही हैं। यहां भी बीजेपी और उसकी सहयोगी जेजेपी के नेताओं का पिछले सात महीने से घरों से निकलना मुश्किल हो गया है। हालात ऐसे हैं कि हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला हिसार के एयरपोर्ट पर उतरकर गाड़ी से अपने घर नहीं जा सकते क्योंकि किसान उनका घेराव करने के लिए तैयार बैठे हैं। बीजेपी के नेताओं को किसानों से माफ़ी तक मांगनी पड़ी है।
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पश्चिमी यूपी में भी बीजेपी के नेताओं का किसान लगातार विरोध कर रहे हैं। पंचायत चुनाव के जरिये किसानों ने बीजेपी नेताओं को समझा दिया है कि उनके लिए 2022 का चुनाव लड़ना आसान नहीं होगा।
कई बार समझा चुके मलिक
किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार भले ही लापरवाह दिख रही हो लेकिन मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक उसे लगातार आगाह कर रहे हैं। मलिक ने हाल ही में एक बार फिर कहा था कि किसान आंदोलन का जल्दी से जल्दी हल निकलना चाहिए।
मलिक ने कहा था कि केंद्र सरकार का यही रूख़ रहेगा तो बहुत बड़ा सियासी नुक़सान हो जाएगा। उन्होंने कहा था कि हम पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान को खो देंगे लेकिन अगर हम समझदारी से काम करेंगे तो इन जगहों के लोग हमारे साथ ही रहेंगे।
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