सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष पद के लिए बुधवार को हुए चुनाव में शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार हरजिंदर सिंह धामी ने निर्दलीय उम्मीदवार बीबी जगीर कौर को शिकस्त दी है। चुनाव में कुल 146 वोट पड़े जिसमें से हरजिंदर सिंह धामी को 104 और बीबी जगीर कौर को 42 वोट मिले।
बीबी जगीर कौर शिरोमणि अकाली दल से बगावत करके चुनाव मैदान में डटी रहीं। बीबी जगीर कौर 1999, 2004 और 2020 में एसजीपीसी की अध्यक्ष रह चुकी हैं।
एसजीपीसी में अकाली दल बेहद ताकतवर है और उसके पास 135 सदस्यों का समर्थन था जबकि विपक्ष के साथ सिर्फ 22 सदस्य थे। लेकिन चूंकि बीबी जगीर कौर को 42 वोट मिले हैं इसका मतलब है कि वह अकाली दल में कुछ हद तक तोड़फोड़ करने में कामयाब रही हैं।
गुरुद्वारा एक्ट 1925 के मुताबिक, एसजीपीसी के अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों का चुनाव वोट के जरिए किया जाता है। एसजीपीसी हरियाणा, पंजाब के साथ ही कई राज्यों के गुरुद्वारों का प्रबंधन देखती है। एसजीपीसी में वर्तमान में 157 सदस्य हैं और इसमें पंजाब के साथ ही देश के अन्य राज्यों से भी सिख समुदाय के सदस्यों को चुना जाता है।
लंबे वक्त तक शिरोमणि अकाली दल का एसजीपीसी के अध्यक्ष पद पर कब्जा रहा है।
सुखबीर बादल को चुनौती
शिरोमणि अकाली दल के कई बार समझाने के बाद भी बीबी जगीर कौर ने चुनाव लड़ कर सीधे पार्टी के प्रधान सुखबीर सिंह बादल को चुनौती दी है। बीबी जगीर कौर को एक वक्त अकाली दल में रहे और शिअद संयुक्त के अध्यक्ष सुखदेव सिंह ढींडसा का भी समर्थन मिला था। ढींडसा ने कहा है कि एसजीपीसी को बादलों से मुक्त करवाना उनका लक्ष्य है।
शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल मंगलवार को हरिमंदिर साहिब पहुंचे थे। उन्होंने कहा था कि बीबी जगीर कौर केंद्र सरकार के साथ मिलकर सिखों की पीठ पर छुरा ना घोंपे।
पंजाब में पंथक राजनीति करने वाला शिरोमणि अकाली दल निश्चित रूप से 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी हार के बाद मुश्किलों के दौर से गुजर रहा है। पार्टी के अंदर प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल के नेतृत्व को चुनौती मिल रही है और नेतृत्व को बदलने की मांग लगातार की जा रही है। हालांकि एसजीपीसी के चुनाव में जीत से अकाली दल और सुखबीर बादल को ऊर्जा जरूर मिली है।
अपनी राय बतायें