शिरोमणि अकाली दल के बड़े नेता और पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया पर पंजाब सरकार द्वारा एफ़आईआर दर्ज किए जाने के बाद राज्य का सियासी माहौल बेहद गर्म है। यह एफ़आईआर इसलिए अहम है क्योंकि चुनाव से ठीक पहले की गई है। एफ़आईआर पर कांग्रेस के नेता ख़ुश हैं तो अकाली दल भड़क गया है।
अकाली दल पंजाब की सत्ता में वासपी की लड़ाई लड़ रहा है। प्रकाश सिंह बादल अब बुजुर्ग हो चुके हैं और ऐसे में चुनाव की कमान सुखबीर सिंह बादल और बिक्रम सिंह मजीठिया के ही हाथों में है।
ऐसे में कांग्रेस ने मजीठिया के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर सीधे अकाली दल को घेरने की कोशिश की है।
अमरिंदर का मिला साथ
मजीठिया पर एफ़आईआर के मामले में अकाली दल को पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का साथ मिला है। कैप्टन ने इसे बदले की कार्रवाई बताया है। मजीठिया के ख़िलाफ़ यह एफ़आईआर ड्रग्स मामले में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर दर्ज की गई है।
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अपने घर के जबरदस्त झगड़ों से जूझ रही कांग्रेस ने इस दांव के जरिये हालांकि अकाली दल को घेरने की पूरी कोशिश की है लेकिन यह तय है कि अकाली दल भी इस मामले में भरपूर जवाब देगा। ख़ुद प्रकाश सिंह बादल सामने आए और उन्होंने इसे बदले की कार्रवाई बताया है।
जबकि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने इस पर ख़ुशी जाहिर की है और कहा कि वे पिछले पांच साल से इस लड़ाई को लड़ रहे थे।
ड्रग्स बड़ा मुद्दा
पंजाब की सियासत में ड्रग्स एक बड़ा मुद्दा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस ने ड्रग्स की बिक्री को लेकर बिक्रम सिंह मजीठिया पर जमकर हमले किए, लेकिन सत्ता में आने के बाद भी उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर तक दर्ज न होने के कारण कांग्रेस की अंदरूनी सियासत गर्म रही।
इस बात की भी आशंका है कि पुलिस मजीठिया को गिरफ़्तार कर सकती है।
यहां ध्यान देना होगा कि मजीठिया सुखबीर बादल के साले और सांसद हरसिमरत कौर के भाई भी हैं। अकाली दल की सरकारों के दौरान मजीठिया का अपना बड़ा सियासी वजूद हुआ करता था।
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