पंजाब के किसानों ने मोदी सरकार के द्वारा लाए गए कृषि क़ानूनों का विरोध क्या किया, सरकार तो मानो पंजाब से बदला लेने पर उतारू हो गयी है। किसानों के आंदोलन के कारण केंद्र सरकार वहां बीते डेढ़ महीने से मालगाड़ी और यात्री ट्रेन नहीं भेज रही है। इस वजह से राज्य में कोयला नहीं पहुंच रहा है और पावर प्लांट पूरी तरह बंद हो गए हैं।
हालात हर दिन बिगड़ रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार जिद पर अड़ी बैठी है कि किसान रेलवे ट्रैक खाली करें, तभी वह मालगाड़ियों को पंजाब जाने की इजाजत देगी। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह कई बार कह चुके हैं कि मालगाड़ियां जिस ट्रैक से जाएंगी, वहां उनकी सरकार उन्हें पूरी सुरक्षा देगी लेकिन रेल मंत्री पीयूष गोयल इसके लिए तैयार नहीं हैं।
25 सितंबर से पंजाब में मालगाड़ी और यात्री ट्रेनें नहीं जा रही हैं। कोयला न पहुंचने के कारण राज्य में घंटों तक पावर कट लग रहे हैं और अनाज, सब्जियों की कमी हो गई है। मालगाड़ियों के न आने से व्यापारियों तक भी सामान नहीं पहुंच पा रहा है।
राज्य सरकार का कहना है कि रेलवे और केंद्र सरकार फिजूल के तर्क दे रहे हैं। राज्य में सारे रेलवे ट्रैक पूरी तरह क्लियर हैं लेकिन मोदी सरकार कृषि क़ानूनों का विरोध करने के लिए यहां के किसानों को सजा देना चाहती है। कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि राज्य सरकार कई बार रेलवे को ट्रेनों की पूरी सुरक्षा का भरोसा दे चुकी है लेकिन वह टस से मस होने को तैयार नहीं है।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने रेलवे के हठ को पूरी तरह बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा कि पंजाब के लोगों और किसानों तक ज़रूरी चीजें नहीं पहुंच पा रही हैं।
अमरिंदर सिंह ने पीटीआई से कहा कि बीजेपी की गंदी राजनीति की वजह से पंजाब और पड़ोसी राज्यों के लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। 4 नवंबर को अमरिंदर सिंह ने इस मुद्दे पर पूरी कैबिनेट के साथ दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया था।
धरने में कैप्टन ने कहा था कि राज्य के हालात बेहद ख़राब हैं और यहां कोयला, यूरिया और कई अन्य ज़रूरी चीजें ख़त्म हो गई हैं। उन्होंने कहा था कि इस वजह से जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के लोगों को भी परेशानी हो रही है। लेकिन तब के बाद से अब तक हालात और भी बिगड़ चुके हैं।
रेलवे को 1200 करोड़ का नुक़सान
भारतीय रेलवे ने दावा किया है कि पंजाब और केंद्र सरकार के बीच चल रहे झगड़े के कारण उसे 1200 करोड़ के राजस्व का नुक़सान हो चुका है। रेलवे के मुताबिक़, 2,225 मालगाड़ियां रुकी हुई हैं जबकि 1,350 यात्री ट्रेनों को पिछले हफ़्ते डाइवर्ट और कैंसिल कर दिया। इस वजह से भी रेलवे को काफी नुक़सान हो रहा है।
हालांकि इस बीच, 13 नवंबर को पंजाब के किसानों को दिल्ली बुलाया गया है। यहां उनकी रेल मंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ बातचीत होगी। किसान नेता जगमोहन सिंह पटियाला का कहना है कि उनकी यही मांग है कि केंद्र सरकार इन क़ानूनों को वापस ले। किसानों ने रेलवे ट्रैक के अलावा कई बीजेपी नेताओं के घर के बाहर भी प्रदर्शन किया है।
22 हज़ार करोड़ का नुक़सान
पंजाब के औद्योगिक मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा ने कहा है कि अब तक राज्य के उद्योगों को 22 हज़ार करोड़ का आर्थिक नुक़सान हो चुका है। उन्होंने पीयूष गोयल से जल्द से जल्द मालगाड़ी चलाने की अपील की है।
अरोड़ा ने कहा कि लुधियाना, मंडी, गोबिंदगढ़ और जालंधर के उद्योगों को इस वजह से जबरदस्त नुक़सान हो रहा है। उन्होंने चेताया है कि अगर यह हालात जारी रहे तो उद्योगों का अपने कर्मचारियों को सैलरी देना भी मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं जानता कि केंद्र सरकार के मन में क्या है। लेकिन वह पंजाब के साथ भेदभाव कर रही है।’
कृषि क़ानूनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार से नाता तोड़ चुकी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) भी किसानों के साथ खुलकर धरना-प्रदर्शन कर रही है। शिअद का कहना है कि मालगाड़ियों को रोककर मोदी सरकार पंजाब और यहां के किसानों को सबक सिखाना चाहती है।
शिअद केंद्र-राज्य पर हमलावर
शिअद के वरिष्ठ नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा का कहना है, ‘पंजाब के हालात हर दिन बदतर होते जा रहे हैं। राज्य बिजली के संकट से जूझ रहा है। यहां उर्वरक तक नहीं हैं और ज़रूरी चीजों की कमी हो गई है। इस वजह से आर्थिक संकट पैदा हो रहा है।’ चीमा ने कहा कि अगर राष्ट्रपति ने अमरिंदर सिंह को मिलने का मौक़ा नहीं दिया तो उन्हें सीधे पीएमओ से इस बारे में बात करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार इस मामले में सिर्फ राजनीति कर रहे हैं।
विपक्षी दल आम आदमी पार्टी ने कहा है कि अमरिंदर सिंह जानबूझकर प्रधानमंत्री के साथ इस मुद्दे पर मिलने से बच रहे हैं। जबकि बीजेपी का कहना है कि पंजाब सरकार केंद्र को ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रही है।
बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव तरूण चुघ का कहना है कि अमरिंदर सिंह पंजाब के हालात के लिए जिम्मेदार हैं और किसानों को कृषि क़ानूनों को लेकर गुमराह कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पंजाब में कई जगहों पर रेलवे ट्रैक पर धरने चल रहे हैं और राज्य सरकार उन्हें हटाने के लिए कुछ नहीं कर रही है। चुघ ने कहा कि ऐसे में अमरिंदर सिंह ट्रेन न चलने के लिए केंद्र सरकार को कैसे जिम्मेदार ठहरा सकते हैं।
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