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सोमवार सुबह पंजाब के अमृतसर में भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर इनकी तीव्रता 4.1 मापी गई है। अमृतसर में यह झटके तड़के 3:42 पर लगे और इस वजह से लोग दहशत में आ गए। बताना होगा कि दिल्ली में दिल्ली-एनसीआर में बीते शनिवार और बुधवार को भूकंप के जबरदस्त झटके महसूस किए गए थे।
बुधवार तड़के नेपाल में भी जबरदस्त भूकंप आया था और इसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.3 बताई गई थी। नेपाल में बुधवार तड़के 1.57 बजे भूकंप के झटके लगे थे।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप का केंद्र भी नेपाल में था। नेपाल में मंगलवार रात को 8.52 बजे 4.9 तीव्रता का पहला भूकंप आया और रात को ही 9.41 बजे 3.5 तीव्रता का भूकंप आया था। लेकिन 1.57 बजे आए 6.3 तीव्रता वाले भूकंप के झटके दिल्ली-एनसीआर के साथ ही कई राज्यों में भी महसूस किए गए थे। नेपाल के डोटी जिले में यह भूकंप आया था और वहां कई घर गिर गए थे।
नेपाल के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में कुछ सेकेंड तक भूकंप के झटके महसूस होने के बाद कई लोगों ने सोशल मीडिया पर इसे शेयर किया था। भूकंप के झटके इतने तेज़ थे कि घबराकर कई इलाक़ों में लोग घरों से बाहर निकल आए थे। भूकंप के लिहाज से दिल्ली को हमेशा ही संवेदनशील इलाक़ा माना जाता है।
उत्तर भारत और पूर्वोत्तर के इलाक़े में भूंकप आते रहे हैं। साल 2020 के मई और जून के महीने में कुल 14 बार भूकंप के झटकों ने दिल्ली-एनसीआर के साथ ही हरियाणा और पंजाब के एक बड़े हिस्से में लोगों को डरा दिया था।
भू-वैज्ञानिकों ने भूकंप की अधिक तीव्रता के लिहाज से देश को चार अलग-अलग ज़ोन में बांट रखा है। मैक्रो सेस्मिक ज़ोनिंग मैपिंग के अनुसार, इसमें ज़ोन-5 से ज़ोन-2 तक शामिल हैं। ज़ोन-5 को सबसे ज़्यादा संवेदनशील माना जाता है। उत्तर-पूर्व के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से तथा गुजरात का कच्छ इलाक़ा ज़ोन-5 में आते हैं। भूकंप के लिहाज से ये सबसे ख़तरनाक ज़ोन हैं।
ज़ोन-2 सबसे कम संवेदनशील माना जाता है। इसमें तमिलनाडु, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और हरियाणा का कुछ हिस्सा आता है। यहाँ भूकंप आने की संभावना बनी रहती है। ज़ोन-3 में केरल, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, पश्चिमी राजस्थान, पूर्वी गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश का कुछ हिस्सा आता है। इस ज़ोन में भूकंप के झटके आते रहते हैं।
ज़ोन-4 में वे इलाक़े आते हैं, जहां रिक्टर स्केल पर 7.9 की तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है। इस ज़ोन में मुंबई, दिल्ली जैसे महानगर, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी गुजरात, उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाक़े और बिहार-नेपाल सीमा के इलाक़े शामिल हैं। यहां भूकंप का ख़तरा लगातार बना रहता है और रुक-रुक कर भूकंप आते रहते हैं।
दरअसल, भूकंप ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसे न तो रोक पाना मुमकिन है और न ही उसका अचूक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
भू-गर्भशास्त्रियों के मुताबिक़, धरती की गहराइयों में स्थित प्लेटों के आपस में टकराने से धरती में कंपन पैदा होता है। इस कंपन या कुदरती हलचल का सिलसिला लगातार चलता रहता है। वैज्ञानिकों ने भूकंप नापने के आधुनिक उपकरणों के ज़रिए यह भी पता लगा लिया है कि हर साल लगभग पांच लाख भूकंप आते हैं यानी क़रीब हर एक मिनट में एक भूकंप। इन पांच लाख भूकंपों में से लगभग एक लाख ऐसे होते हैं, जो धरती के अलग-अलग भागों में महसूस किए जाते हैं। राहत की बात यही है कि ज़्यादातर भूकंप हानिरहित होते हैं।
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