पंजाब में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भतीजे के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की है। यह छापेमारी अवैध रूप से रेत के खनन के मामले में की गई है। इससे पहले भी चुनाव से ठीक पहले केंद्रीय एजेंसियां विपक्षी दलों के नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी करती रही हैं।
अवैध खनन बड़ा मुद्दा
पंजाब में रेत का अवैध खनन एक बड़ा मुद्दा रहा है। इस मुद्दे को लेकर पंजाब में तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं पर गंभीर आरोप लगते रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ने के बाद आरोप लगाया था कि कांग्रेस के कुछ विधायक इस काम में शामिल हैं। अमरिंदर सिंह ने यह भी कहा था कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस बारे में जानकारी दी थी।
आम आदमी पार्टी भी मुख्यमंत्री चन्नी पर आरोप लगा चुकी है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र चमकौर साहिब में रेत का अवैध खनन हो रहा है।
इसके अलावा पत्रकारों, विरोधियों की आवाज़ को दबाने के मक़सद से भी एजेंसियों पर छापेमारी करने के आरोप लगते रहे हैं।
विपक्षी नेता निशाने पर?
साल 2015 में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के शिमला और दिल्ली के ठिकानों पर सीबीआई ने छापे मारे थे और उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की थी। छापेमारी उस दिन की गई, जिस दिन वीरभद्र सिंह की बेटी की शादी थी। कारण यह बताया गया कि वीरभद्र सिंह ने बिना हिसाब वाली आय को कृषि से मिली आय बताया और इससे अपने परिवार के सदस्यों के लिए इंश्यारेंस पॉलिसियां ख़रीदीं।
सीबीआई ने जुलाई, 2017 में पूर्व रेल मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू यादव के घर पर छापे मारे थे। इससे पहले भी सीबीआई ने कई बार छापेमारी की थी।
आम आदमी पार्टी निशाने पर
सीबीआई और दिल्ली पुलिस के निशाने पर आम आदमी पार्टी की सरकार भी रही। पार्टी के क़रीब 15 विधायकों को जेल की हवा खानी पड़ी जिनमें से ज़्यादातर को अदालत से क्लीन चिट मिल गई। केजरीवाल के दफ़्तर और घर पर भी छापे पड़े और उनके प्रमुख सचिव राजेंद्र कुमार को जेल भी जाना पड़ा।
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