पंजाब में मतदान हो चुका है और अब नतीजों का इंतजार है। लेकिन इसी बीच शिरोमणि अकाली दल के बड़े नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के एक संकेत ने राज्य के सियासी गलियारों में एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। सवाल यह है कि क्या विधानसभा चुनाव के बाद क्या बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल फिर से साथ आ सकते हैं।
बिक्रम सिंह मजीठिया ने न्यूज़ चैनल इंडिया टुडे से बातचीत करते हुए कहा कि पंजाब में अकाली दल-बीएसपी का गठबंधन सरकार बनाएगा और उनकी पार्टी अगर बहुमत के आंकड़े से कुछ दूर रह जाती है तो वह बीजेपी से समर्थन लेने के बारे में फैसला करेगी।
बिक्रम सिंह मजीठिया इस बार अमृतसर ईस्ट सीट से चुनाव लड़े, जहां उनका मुकाबला प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से हुआ है। पंजाब में मजीठिया के बयान के बाद तमाम तरह की सियासी अटकलें लगनी शुरू हो गई है।
मजीठिया के बयान को कम करके नहीं आंका जा सकता क्योंकि वह अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल के साले हैं और पंजाब में अकाली दल की सियासत के बड़े चेहरों में से एक हैं। पंजाब में अकाली-बीजेपी की सरकारों में मजीठिया का बड़ा वजूद रहा है।
बताना होगा कि बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल लंबे वक्त तक सहयोगी रहे हैं और पंजाब में कई बार मिलकर सरकार चला चुके हैं। लेकिन कृषि कानूनों के कारण अकाली दल ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था।
पंजाब में इस बार बीजेपी ने अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस और सुखदेव सिंह ढींढसा की पार्टी शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा है।
पंजाब के विधानसभा चुनाव में इस बार जोरदार टक्कर रही है। मुख्य मुकाबला कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच माना जा रहा है लेकिन अगर अकाली दल-बीएसपी का गठबंधन बहुमत से कुछ पीछे रहा तो वह फिर से बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर सरकार बना सकता है। देखना होगा कि 10 मार्च को चुनाव नतीजे क्या किसी दल को स्पष्ट बहुमत देते हैं या फिर पंजाब में कोई मिली-जुली सरकार बनती है।
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