बठिंडा मिलिट्री स्टेशन
में चार जवानों की हत्या के मामले में पंजाब पुलिस ने सनसनीख़ेज़ जानकारी दी है।
उसका कहना है कि एक जवान का यौन उत्पीड़न सेना के ही कुछ जवानों ने किया था। इसी
वजह से उसने चारों को फ़ायरिंग करके मार डाला। बठिंडा के एसएसपी गुलनीत सिंह
खुराना ने पत्रकारों को बताया कि दरअसल हत्याकांड का गवाह मोहन देसाई ही आरोपी है,
उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
बठिंडा एसएसपी के अनुसार
गनर मोहन देसाई ने कैम्प से राइफल,
मैगजीन और एलएमजी की आठ गोलियां चुराईं और
उन्हें इस अपराध में इस्तेमाल किया। हत्याकांड को अंजाम देने के बाद उसने राइफल और
सात गोलियां छावनी के अंदर बने एक सीवर टैंक में फेंक दी थीं।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने
द ट्रिब्यून से बात करते हुए कहा कि आरोपी का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया
था, जिन जवानों की उसने हत्या की है उन्होंने उसका अप्राकृतिक
यौनाचार किया गया था। इसलिए बदला लेने की
नीयत से उसने उन्हें मार डाला। पुलिस का कहना है कि हत्या का मकसद व्यक्तिगत है जो
उसके उत्पीड़न से जुड़ा हुआ है।
मामले में दर्ज कराई गई
एफआईआर के अनुसार, एक के पास इंसास
राइफल और दूसरे के पास कुल्हाड़ी थी। लेकिन शवों पर केवल गोलियों के ही निशान थे।
संदेह है कि इस हफ्ते की शुरुआत में 28 राउंड गोलियों के साथ चोरी हुई एक इंसास राइफल का इस्तेमाल ही फायरिंग में
किया गया था। मौके से इंसास राइफल के 19 खाली खोखे और बाद में राइफल भी बरामद कर ली गई है।
इस मामले में बठिंडा
पुलिस ने चार जवानों की हत्या के मामले में रविवार को चार सैन्य कर्मियों से
पूछताछ की थी। जबकि आठ जवानों से आज भी पूछताछ जारी है। हत्याओं के बाद पुलिस ने
मामले में पूछताछ के लिए बठिंडा छावनी के 12 जवानों को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया था। वरिष्ठ
पुलिस अधीक्षक गुलनीत सिंह खुराना ने कहा कि मामले में कुछ जवानों की भूमिका और
बयानों ने संदेह पैदा हुआ है। जिसके परिणामस्वरूप उन्हें सम्मन जारी किया गया
था।
उन्होंने कहा कि पुलिस और
सेना दोनों मामले को सुलझाने के लिए विभिन्न पहलुओं से जांच कर रहे हैं। पुलिस
सूत्रों के मुताबिक, सेना के कुछ
जवानों की भूमिका की गहनता से जांच की जानी है। हमलावरों की संख्या और उनके दिखने
पर कुछ जवानों के बयानों पर संदेह है। हमलावरों के कुर्ता-पायजामा पहने और
कुल्हाड़ी और राइफल ले जाने का बयान भी संदेह पैदा करता है क्योंकि सभी पीड़ितों
पर केवल गोलियों के निशान थे और उनमें से किसी को भी धारदार हथियार से चोट नहीं आई
थी। इसलिए शक बढ़ता चला गया।
अपनी राय बतायें