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पंजाब की सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही कांग्रेस शायद अब प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को और बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। इसका संकेत एक बार फिर तब मिला जब, एडवोकेट जनरल एपीएस देओल ने शनिवार को सिद्धू पर हमला बोल दिया। देओल ने मीडिया में एक बयान जारी कर कहा है कि सिद्धू सरकार और एडवोकेट जनरल के कामकाज में गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
देओल ने कहा है कि सिद्धू की बार-बार बयानबाज़ी की वजह से ड्रग्स और बेअदबी के मामले में इंसाफ़ दिलाने की राज्य सरकार की गंभीर कोशिशों को झटका लग रहा है। एडवोकेट जनरल ने कहा कि सिद्धू ग़लत सूचनाएं फैला रहे हैं और ऐसा वह अपने राजनीतिक सहयोगियों के ख़िलाफ़ सियासी फ़ायदा हासिल करने के लिए कर रहे हैं।
देओल ने जोरदार हमला करते हुए कहा है कि अपने निजी स्वार्थ के लिए कांग्रेस सरकार के कामकाज को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है और ऐसा पंजाब चुनाव में अपने सियासी फ़ायदे के लिए किया जा रहा है।
सिद्धू ने बीते दिन ही कहा था कि जब तक नए एडवोकेट जनरल काम नहीं संभाल लेते, तब तक वे प्रदेश कांग्रेस के दफ़्तर जाकर काम नहीं संभालेंगे। सिद्धू का एक तरह से यह हाईकमान को अल्टीमेटम था और वह चाहते हैं कि चन्नी सरकार देओल को एडवोकेट जनरल के पद से हटाने की उनकी मांग को पूरा करे। इसके अलावा सिद्धू डीजीपी आईपीएस सहोता को भी हटाना चाहते हैं।
लेकिन देओल का पलटवार इस बात को बताता है कि कहीं न कहीं उनकी पीठ पर चन्नी सरकार का हाथ है। वरना हुकूमत चला रही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पर इतना बड़ा आरोप लगाना आसान नहीं है। वह भी सिद्धू जैसे हाई प्रोफ़ाइल नेता पर।
सिद्धू को कांग्रेस हाईकमान ने कुछ दिन पहले भी एक सीधा मैसेज दिया था। कुछ दिन पहले यह ख़बर आई थी कि एपीएस देओल ने अपना इस्तीफ़ा राज्य सरकार को सौंप दिया है लेकिन सिद्धू ने बीते सोमवार को एक कार्यक्रम में फिर से चन्नी सरकार पर हमला बोल दिया था।
यह बात कांग्रेस हाईकमान तक भी पहुंच गई थी और वहां से चन्नी सरकार तक यह मैसेज पहुंचाया गया कि अब एपीएस देओल को न हटाया जाए। यह भी ख़बर थी कि देओल ने बीते सोमवार सुबह इस्तीफा दे दिया था और इसे कैबिनेट की बैठक में मंजूर किया जाना था। लेकिन सिद्धू के राज्य सरकार पर हमले के कारण मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी नाराज़ हो गए और उन्होंने इस्तीफ़ा नामंजूर कर दिया।
जबकि सूत्रों के मुताबिक़, इससे पहले कांग्रेस नेतृत्व इस बात पर राजी हो गया था कि सिद्धू को मनाने के लिए देओल को हटा दिया जाएगा। सिद्धू बीते कई दिनों से इस बात को लेकर मुंह फुलाए बैठे हैं कि चन्नी सरकार ने देओल को एडवोकेट जनरल क्यों बनाया।
बीते दिन सिद्धू के एडवोकेट जनरल के मुद्दे पर चन्नी सरकार पर हमलावर होने के अगले ही दिन देओल का पलटवार करना इस बात को बताता है कि चन्नी सरकार अब चुप नहीं रहेगी और सिद्धू को अच्छा-खासा जवाब मिलेगा।
कांग्रेस हाईकमान को इस बात का डर है कि सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने पर वह विरोधियों के साथ मिलकर कांग्रेस को नुक़सान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में वह इस बात का इंतजार कर रहा है कि सिद्धू परेशान होकर ख़ुद ही पार्टी छोड़ दें या कोई बड़ी ग़लती कर दें।
पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा था कि सिद्धू एक अस्थिर शख़्स हैं और सोनिया गांधी को उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने के फ़ैसले पर पछताना पड़ेगा। अमरिंदर की यह बात काफी हद तक सही साबित होती दिख रही है क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से सिद्धू ने सरकार के साथ मिलकर काम करने के बजाए अपने बयानों से सरकार के लिए मुसीबत खड़ी की हुई है।
सिद्धू की वजह से कांग्रेस ने अमरिंदर सिंह को भी खो दिया है। अमरिंदर सिंह के तेवरों से साफ है कि वे विधानसभा चुनाव पूरी ताक़त के साथ लड़ेंगे। ऐसे में कुछ हद तक तो वे कांग्रेस को नुक़सान पहुंचाएंगे लेकिन कांग्रेस को अमरिंदर से ज़्यादा नुक़सान सिद्धू पहुंचा सकते हैं।
कुछ दिन पहले जब चरणजीत सिंह चन्नी और सिद्धू अचानक जब केदारनाथ के दर्शन करने पहुंचे तो ऐसा लगा कि अब हालात ठीक हो गए हैं। उसके बाद दोनों ने कांग्रेस के विधायकों-मंत्रियों के साथ बैठक भी की। लेकिन सिद्धू शायद अपनी आदत से बाज़ आने के लिए तैयार नहीं हैं।
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