चंपाई सोरेन
बीजेपी - सरायकेला
जीत
चंपाई सोरेन
बीजेपी - सरायकेला
जीत
कल्पना सोरेन
जेएमएम - गांडेय
जीत
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सोमवार को बीजेपी में शामिल हो गए। उन्होंने अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का भी बीजेपी में विलय कर दिया है। 80 साल के अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, किरेन रिजिजू की मौजूदगी में दिल्ली मुख्यालय में बीजेपी का दामन थामा। इससे पहले अमरिंदर सिंह ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की।
अमरिंदर सिंह के साथ कई नेता बीजेपी में शामिल हुए हैं। अमरिंदर सिंह ने 12 सितंबर को दिल्ली आकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी और इसके बाद उनका बीजेपी में शामिल होना लगभग औपचारिकता मात्र ही रह गया था।
बीजेपी पंजाब में मजबूती से पांव जमाने की कोशिश कर रही है और बीते कुछ दिनों में उसने कांग्रेस, अकाली दल के कई बड़े नेताओं पार्टी में शामिल किया है।
अमरिंदर सिंह हालांकि बुजुर्ग हो चुके हैं लेकिन लंबे वक्त तक पंजाब का मुख्यमंत्री रहने की वजह से उनका एक बड़ा सियासी कद राज्य की राजनीति में है। लेकिन विधानसभा चुनाव में अमरिंदर सिंह पटियाला विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे। अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर पटियाला से सांसद हैं। अमरिंदर सिंह की बेटी जयइंदर कौर भी सक्रिय राजनीति में उतर चुकी हैं।
बीजेपी धड़ाधड़ पंजाब में बड़े हिंदू व सिख चेहरों को पार्टी में शामिल कर रही है। उसकी नजर 2024 के लोकसभा चुनाव पर है जहां वह सभी सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ना चाहती है। दिग्गज नेता सुनील जाखड़ के बाद पूर्व मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू, राज कुमार वेरका, केवल सिंह ढिल्लों, सुंदर शाम अरोड़ा, गुरप्रीत कांगड़ भी बीजेपी का हाथ थाम चुके हैं।
राजकुमार वेरका, सुंदर शाम अरोड़ा पंजाब में कांग्रेस का बड़ा हिंदू चेहरा माने जाते थे। इसी तरह सुनील जाखड़ भी पंजाब कांग्रेस के बड़े हिंदू चेहरे थे। पंजाब में 38 फीसद हिंदू आबादी है और बीजेपी की कोशिश है कि कांग्रेस की करारी हार के बाद वह हिंदू वोटों के बड़े हिस्से को अपने पाले में ले आए। साथ ही वह मजबूत सिख नेताओं को भी पार्टी से जोड़ने के काम में जुटी हुई है।
देखना होगा कि अमरिंदर सिंह के आने के बाद बीजेपी को पंजाब की राजनीति में क्या इसका कोई फायदा मिलता है।
About Us । Mission Statement । Board of Directors । Editorial Board | Satya Hindi Editorial Standards
Grievance Redressal । Terms of use । Privacy Policy
अपनी राय बतायें