पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत के बयान पर पलटवार किया है। अमरिंदर ने कहा था कि अगर कृषि क़ानूनों का मसला हल हो जाता है तो वे पंजाब चुनाव में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। इस पर रावत ने कहा था कि अमरिंदर सिंह ने अपने भीतर के सेक्युलर अमरिंदर सिंह को मार दिया है।
अमरिंदर सिंह के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर पूर्व मुख्यमंत्री का पक्ष रखा है। ट्वीट में अमरिंदर सिंह ने कहा, “हरीश रावत सेक्युलरिज्म के बारे में बात करना बंद करें। इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि कांग्रेस ने 14 साल तक बीजेपी में रहे नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी में शामिल किया।”
अमरिंदर सिंह ने सवाल उठाया है कि नाना पटोले और रेवनाथ रेड्डी कहां से आए हैं, क्या वे आरएसएस से नहीं आए हैं। इसके अलावा परगट सिंह चार साल तक अकाली दल के साथ थे। नाना पटोले महाराष्ट्र और रेवनाथ रेड्डी तेलंगाना कांग्रेस के अध्यक्ष हैं।
अमरिंदर सिंह ने सवाल उठाया है कि कांग्रेस महाराष्ट्र में शिव सेना के साथ क्या कर रही है। उन्होंने पूछा है कि क्या यह राजनीतिक अवसरवाद नहीं है।
तजुर्बेकार नेता अमरिंदर सिंह ने रावत को निशाने पर लेते हुए पूछा है, “आप मुझ पर यह आरोप लगा रहे हैं कि मैं चार-साढ़े चार साल तक अकाली दल की मदद करता रहा। ऐसा होता तो क्या मैं उनके ख़िलाफ़ 10 साल तक अदालतों में मुक़दमे लड़ता और मैं क्यों कांग्रेस के लिए पंजाब में 2017 के बाद हुए सारे चुनाव जीता?”
अमरिंदर सिंह ने कहा है कि कांग्रेस ने पंजाब में उन पर भरोसा न कर और पंजाब में कांग्रेस को एक अस्थिर व्यक्ति सिद्धू के हाथ में सौंपकर ख़ुद का नुक़सान किया है। अमरिंदर सिंह ने सिद्धू पर हमला बोला और कहा कि सिद्धू केवल ख़ुद के लिए ही ईमानदार हैं।
अमरिंदर सिंह पर हमले तेज़
बीते दिनों में अमरिंदर सिंह पर सियासी वार करने के लिए कांग्रेस ने कई नेताओं को मैदान में उतारा है। हरीश रावत के अलावा पंजाब के कैबिनेट मंत्री परगट सिंह और सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी अमरिंदर सिंह पर हमले तेज़ किए हैं। परगट सिंह ने कहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की बीजेपी और अकाली दल के साथ मिलीभगत है और उन्हें अपना एजेंडा बीजेपी से मिलता था। इसी तरह सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी अमरिंदर सिंह पर तमाम सवाल खड़े किए।
ख़ैर, अमरिंदर सिंह अब जब अलग पार्टी बनाने का और किसान आंदोलन का मसला हल होने पर बीजेपी के साथ जाने का एलान कर चुके हैं तो वह कांग्रेस की जीत की संभावनाओं को थोड़ा कमजोर तो करेंगे ही। इसके अलावा सिद्धू की बयानबाज़ी से भी पार्टी को पंजाब चुनाव में सियासी नुक़सान हो सकता है।
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