पश्चिम बंगाल सरकार ने पहली बार माना है कि हाल फ़िलहाल जिन 57 लोगों की मौत हुई हैं, उन्हें कोरोना वायरस का संक्रमण भी था। लेकिन इसके साथ ही इसने यह भी कहा कि इसमें से 39 मामले ऐसे हैं, जिनमें रोगी को कोरोना तो था, पर मौत की वजह दूसरी बीमारी रही है।
पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने कहा है, ‘राज्य में कोरोना से सिर्फ 18 लोगों की मौत हुई है। बाकी 39 मौतें दूसरे कारणों से हुईं।’
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केंद्रीय टीम
इसके एक दिन पहले ही केंद्र से गई टीम ने पश्चिम बंगाल में कोरोना से होने वाली मौतों का ब्योरा माँगा था और कई तरह के सवाल उठाए थे।इसके पहले ‘बंगाली फ़ीजिशीयिन्स’ नामक स्वास्थ्य कर्मियों के संगठन ने कहा था कि कोरोना से होने वाली मौतों के मामले में डेथ सर्टिफ़िकेट राज्य सरकार द्वारा नियोजित एक कमेटी ही देती है।
केंद्रीय टीम ने पूछा है कि क्या इस कमेटी को इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च से मान्यता मिली हुई है। इसके साथ ही यह भी पूछा है क्या दूसरे रोगों से होने वाली मौतों पर भी डेथ सर्टिफ़िकेट यह कमेटी ही देती है।
क्या कहना है केंद्रीय टीम का?
इसके एक दिन पहले ही केंद्रीय टीम के मुखिया अपूर्व चंद्र ने राज्य के मुख्य सचिव से कहा था कि वह अस्पतालों में हाल फिलहाल होने वाली मौतों का रिकॉर्ड उन्हें देखने दें। इन मौतों की वजह किसी और रोग को बताया गया है।इसके पहले पश्चिम बंगाल के प्रमुख सचिव ने कहा था कि यदि कोविड-19 का कोई रोगी सड़क दुर्घटना में मर जाए तो उसे कोरोना से होने वाली मौत नहीं माना जाएगा।
केंद्रीय टीम ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि अस्पताल में होने वाली मौत और सड़क दुर्घटना में होने वाली मौत में बहुत फर्क होता है।
एक दिन पहले ही बंगाली फ़ीजियशियन्स ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक कड़ी चिट्ठी लिख कर कहा था कि कोरोना से होने वाली मौतों को छिपाया जा रहा है, सही आँकड़े नहीं दिए जा रहे हैं।
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