14 फ़रवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद देश भर में मातम है। हर तरफ़ शोक का माहौल है। इस हमले में 44 जवान शहीद हो गए थे। आतंकी आदिल अहमद डार ने इस आत्मघाती हमले को अंजाम दिया था।
1965 के युद्ध में कश्मीर भारत के साथ था, लेकिन यदि आज युद्ध की स्थितियाँ बनीं तो क्या कश्मीर हमारे साथ रहेगा। मूल सवाल यही है। इसे हल करने पर ही चीजें बदल सकती हैं।
पुलवामा हमले के बाद तेज़ी से बदलते घटनाक्रमों के बीच गृह मंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर पहुँच गए हैं। राजनाथ सिंह ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी और उनके शव को कंधा दिया।
जम्मू-कश्मीर के पुलावामा में हुए आत्मघाती हमले की ख़बर को अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित है। यह कहा गया है कि इससे दोनोें देशो के बीच तनाव बढ़ेगा।
जम्मू-कश्मीर के पुलावामा ज़िले में आतंकवादियों ने एक बड़ा हमला किया है। यह एक आत्मघाती हमला था। पुलिस का कहना है कि आतंकवादियों ने योजनाबद्ध तरीक़े से सोच-समझ कर यह विस्फोट किया है। 10 प्वाइंट में जानें क्या हुआ हमले में।
सीआईडी की रिपोर्ट के अनुसार आतंकी संगठनों से जुड़ने वाले युवाओं में 32 फ़ीसदी युवा कक्षा 10 पास हैं और अंडर ग्रेजुएट-ग्रेजुएट युवाओं की संख्या 19 फ़ीसदी है।
पुलवामा की आतंकी घटना कोई पहली घटना नहीं है। इसके बावजूद सरकारें इसे रोक पाने में लगातार असफल रही हैं। ऐसी घटनाओं का कम होना तो दूर की बात है, इसकी संख्या में बढ़ोतरी ही हुयी है।
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले में 44 जवान शहीद हो गए हैं। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकी आदिल अहमद डार ने इस आत्मघाती हमले को अंजाम दिया है।