वाईएसआर तेलंगाना पार्टी की संस्थापक वाईएस शर्मिला गुरुवार को कांग्रेस में शामिल हो गईं। इसके साथ ही उनकी वाईएसआर तेलंगाना पार्टी का विलय कांग्रेस पार्टी में हो गया। कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने पार्टी में शर्मिला का स्वागत किया। कांग्रेस को उनसे लोकसभा चुनाव और आँध्र प्रदेश में कांग्रेस को मज़बूत बनाने की उम्मीद है। शर्मिला ने कहा है कि राहुल गांधी के रूप में देखना उनके पिता का सपना था।
शर्मिला अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वाईएस राजशेखर रेड्डी की बेटी और आंध्र प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की छोटी बहन हैं।
Senior leader from Andhra Pradesh YS Sharmila ji joins the INC in the presence of Congress President Shri @kharge, Shri @RahulGandhi and General Secy (Org.) Shri @kcvenugopalmp at the AICC HQ in New Delhi. pic.twitter.com/LqMvqqqwCm
— Congress (@INCIndia) January 4, 2024
माना जा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व शर्मिला को इस साल लोकसभा चुनाव के साथ-साथ आंध्र प्रदेश में एक महत्वपूर्ण भूमिका देगा। इस कदम का उद्देश्य आंध्र प्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के तौर पर भी देखा जा रहा है। पार्टी को उम्मीद है कि जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी छोड़ने के इच्छुक लोग अब कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। प्रमुख विपक्षी दल तेलुगु देशम पार्टी संघर्ष करती दिख रही है, ऐसे में शर्मिला के सामने इसे बेहतर मौक़े के रूप में देखा जा रहा है।
तो सवाल है कि क्या शर्मिला इतनी अनुभवी नेता हैं कि वह कांग्रेस को राज्य में पुनर्जीवित कर पाएँ? दरअसल, शर्मिला पहली बार 2012 में सुर्खियों में आईं जब तेलंगाना आंध्र प्रदेश से अलग नहीं हुआ था। तब उनके भाई जगन मोहन रेड्डी कांग्रेस में ही थे।।
शर्मिला ने घोषणा की थी कि वह तेलंगाना चुनाव नहीं लड़ेंगी। उन्होंने तब कहा था कि कांग्रेस चुनाव जीतने के लिए अच्छी स्थिति में है और वह इसे कमजोर नहीं करना चाहतीं। उन्होंने कहा था, 'मैं कांग्रेस पार्टी को समर्थन दे रही हूं क्योंकि कांग्रेस पार्टी के पास तेलंगाना विधानसभा चुनाव में जीतने की संभावना है।'
शर्मिला के कांग्रेस में शामिल होने के दो कारण बताए जा रहे हैं। एक तो उनके भाई से मतभेद हैं और कहा जा रहा है कि उन्हें अपनी पार्टी की गतिविधियों को जारी रखने के लिए धन की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
यह घटनाक्रम तब सामने आ रहा है जब कांग्रेस पार्टी द्वारा तेलंगाना में विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने और राज्य में भारत राष्ट्र समिति का प्रभुत्व खत्म कर दिया है।
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